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ता भीसं एस इत्थ आएसो होइ पमाणमचित्तं बहुप्पसन्नं तु नायव्वं॥१॥सीउण्हखारखत्ते अग्गीलोणूसअंबिलेनेहे। वुकंतजोणिएणं पओयणं तेणिभं होई ॥२॥ परिसेयपियणहत्थाइधोवणं चीरधोवणंचेवा आयमण भाणधुवणं एमाइ पओयणं बहुहा॥३॥ उउबद्ध धुवण बाउस बंभविणासो अठाणठवणं चीसंपाइमवाउवहो पावण भूओवधाओ य॥४॥अइभार चुडण पणए सीयलपाउरणऽजीर गेलण्णे। ओहावण कायवहो वासासु अधोवणे दोसा५॥ अय्यत्तेच्चिय वासे सव्वं उवहिं धुवंति जयणाए। असईए 3 दवस्स य जहन्नओ पायनिज्जोगो॥६॥ आयरियगिलाणाण य मइला मइला पुणोऽवि धोवंति। मा हु गुरूण अवण्णो लोगंमि अजीरणं इयरे॥७॥ पायस्स पडोयारो दुनिसिज तिपट्ट पोत्ति स्यहरणी एए उन वीसामे जयणा संकामणा धुवण॥८॥ पायस्स पडोयारो पत्तगवज्जोय पायनिजोगीदोनि निसिज्जाओ पण अभितर बाहिरा चेव८॥भा०संथारुत्तरचोलगपट्टा तिनि उहवंति नायव्वा मुहपोत्तियत्ति पोत्ती एगनिसेजं च स्यहरणं॥९॥ एए उन वीसामे पइदिणमुक्ओगओ य जयणाए। संकाभिऊण धोवंति( विज ) छप्पइया तत्थ विहिणा ॥१०॥ भा० जो पुण वीसामिजइ तं एवं वीयरायआणाए। पत्ते धोवणकाले उवहिं वीसामए साहू ॥९॥ अभितरपरिभोगं उवरि पाउणइ नाइदूरे यो तिन्नि य तिन्नि य एगं निसिं तु काउ परिच्छिज्जा॥३०॥ धोवत्थं तिन्नि दिणा उवरि पा( गिप्पा)उणइ तह य(चेव) आसन्नी धारेइ तिन्नि दियहे एगदिणं उवरि लंबंत॥११॥ भा० केई एकेकनिसिं संवासेउ तिहा परिच्छंति पाउणइ जइन लग्गति छप्पइया ताहि धोवंति॥१॥ निव्वोदगस्स गहणं केई भाणेसु असुइ पडिसेहो। गिहिभायणेसु ॥श्री पिण्डनियुक्ति सूत्र
पू. सागर जी म. संशोधित
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