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दुटु विचिंतिरे। हाहा दुटु भागिरे साहू, हाहा दुठ्ठ मणुमते ॥६॥ संवेगालोयगे तहय, भावालोयणकेवली। पयखेवकेवली चेव, मुहणंतगकेवली तहा॥७॥ पच्छित्तकेवली सम्म, महावेग्गकेवली। आलोयणाकेवली तहय, हाऽहं पावित्ति केवली ॥८॥ उम्मुत्तुभ्मग्गपनवए हाहा अणयारकेवली। सावज न करेमित्ति, अक्खंडियसीलकेवली ॥९॥ तवसंजयमवयसंरक्खे, निंदणे गरिहणे तहा। सव्वतो सीलसंरक्खे, कोडीपच्छित्तएऽविय॥७०॥ निप्परिकम्मे अकंडूयणे, अणिभिसच्छी य केवली। एगपासित्त दो पहरे, तह मूणव्वयकेवली ॥१॥न सक्को काउ सामनं, अणसणे ठामि केवली नवकारकेवली तहय, तिव्वालोयणकेवली ॥२॥ निस्सलकेवली तहय, सालुद्धरणकेवली। धनोभित्ति संपुने, सताहंपी किन केवली ॥३॥ ससलोऽहं न पारेमि, चलकट्ठपयकेवली। पक्खसुद्धाभिहाणे य, चाउम्मासी य केवली ॥४॥ संवच्छरमहपच्छित्ते, हा चलं जीवियं तहा। अणिच्चे खणविद्धंसी, मणुयत्ते केवली तहा॥५॥ आलोयनिंदवंदियए, घोरपच्छित्तदुक्करे। लक्खोवसम्गपच्छित्ते, समहियासणकेवली ॥६॥ हत्थोसरणनिवासे य, अद्धकवलासिकेवली एगसित्थगपच्छिते, दसवासे केवली तहा॥७॥ पच्छित्ताढवगेचेव, पच्छित्तद्धयकेवली। पच्छित्तपरिसभत्ती य, अट्ठसक्कोसकेवली॥८॥ न सुद्धीवि न पच्छित्ता, ता र खिष्यकेवली। एगं काऊण पच्छित्तं, बीयं न भवे (जहेव) केवली ॥९॥ तं चायरामि पच्छित्तं, जेणागच्छइ केवली। तं चायरामि जेण तवं, सफल होइ केवली ॥८०॥ किं पच्छित्तं चरंतोऽहं. चिटुं णो तव केवली। जिणाणमाणं ण लंधेऽहं, पाणपरिच्च्यणकेवली॥१॥ अन्नं होही सरीरं मे, नो ॥ श्री महानिशीथसूत्र ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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