________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
|| तं०-सेहे य राइणिए य, तत्थ सेहतराए पलिच्छिन्ने राइणिए अपलिच्छिन्ने, तत्थ सेहतराएणं राइणीए उवसंपज्जियव्वे, भिक्खोववायं | च दलयइ कप्यागं १२४। दो साहमिया एगयओ विहरंति, तं०-सेहे य राइणिए य, तत्थ राइणिए पलिच्छिन्ने सेहतराए अपलिच्छिन्ने, इच्छ। राइणिए सेहतरागं उवसंपज्जेज्जा इच्छ। नो उवसंपज्जेजा, इच्छ। भिक्खोववायंदलयइ कप्यागं, इच्छ। नो दलयइ प्यागं ४६० १२५। दो भिक्खुणो एगयओ विहरंति, नो ण्हं कप्पइ अन्नमन्नस्स उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए,
प्पड़ ण्हं आहाराइणियाए अन्नमन्नं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए।२६। एवं दो गणावच्छेइया।२७) दो आयरियउवझाया।२८) बहेव भिक्खुणो० विहरित्तए।२९। हवे गणावच्छेइया।३० एवं बहवे आयरियउवझाया।३१। बहवे भिक्खुणो बहवे गणावच्छेइया बहवे आयरियउवझाया नो ण्हं० कप्पइ विहरित्तए ५७४३२॥ चउत्थो उद्देसओ४॥
नो कप्पइ पवत्तिणीए अपबिझ्याए हेमन्तगिम्हासु चारए। कप्पइ पवत्तिणीए अप्पतइयाए हेमन्तगिम्हासु चारए।२। नो कप्पड़ गणावच्छेइणीए अस्पतइयाए हेमन्तगिम्हासुचारए।३। कप्पड़ गणावच्छेइणीए अप्पचउत्थीए हेमन्तगिम्हासु चारए।४। नो कप्पइ पवत्तिणीए अप्पतइयाए वासावासं वथए। कप्पइ पवत्तिणीए अप्पचउत्थीए वासावासं वत्थए।६। नो कप्पड़ गणावच्छेइणीए अप्पचउत्थीए वासावासं वथए७ कप्पड़ गणावच्छेइणीए अप्पपंचमीए वासावासं वत्थए।८। सेगामंसि वा जाव संनिवेसंसि वा बहूणं पवत्तिणीणं अप्पतइयाणं बहूणं गणावच्छेइणीणं अप्पचउत्थीणं कप्पद हेमन्तगिम्हासु चारए अन्नमनं In श्री व्यवहारसूत्रम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal Use Only