SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 33
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Sh Kailashsagarsuri Gyanmandir लोयंतातो पादो सूरिए आउओ उत्तिट्ठति एगे एव०, एगे पुण-ता पुरत्थिमातो लोयंताओ बहूई जोयणाई बहुइं जोयणसताई बहूई जोयणसहस्साई उड्ढे दूरं उप्पतित्ता एत्थ णं पातो सूरिए आगासंसि उत्तिट्ठति से णं इमं दाहिणड्ढे लोयं तिरियं रेति ||त्ता उत्तरद्धलोयं तमेव रातो से णं इमं उत्तरद्धलोयं तिरियं रेइ त्ता दाहिणद्धलोयं तमेव राओ, से णं इमाई दाहिणुत्तरड्ढलोयाई |तिरियं करेइ त्ता पुरथिमाओ लोयंतातो बहूई जोयणाई तं चेव उड्ढे दूर उप्पतित्ता एत्थ णं पातो सूरिए आगासंसि उत्तिट्ठति एगे एव०, वयं पुण एवं व्यामो-ता जंबुद्दीवस्स पाईणपडीणायतउदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता दाहिणपुरच्छिमंसि उत्तरपच्चत्थिमंसि य चउब्भागमंडलंसि इभीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसभरमणिज्जातो भूमिभागातो अट्ठ जोयणसताई उड्ढे उम्पतित्ता एत्थ णं पादो दुवे सूरिया आगासाओ उत्तिळंति, ते णं इमाई दाहिणुत्तराई जंबुद्दीवभागाइं तिरिय करेंति त्ता पुरथिमपच्चत्थिमाइं जंबुद्दीवभागाइं तामेव रातो ते णं इमाई पुरच्छिमपच्चस्थिमाइं जंबुद्दीवभागाइं तिरियं करेंति त्ता दाहिणुत्तराई जंबुद्दीवभागाइं तामेव रातो, ते णं इमाई दाहिणुत्तराई पुरच्छिमपच्चत्थिमाणि य जंबुद्दीवभागाई तिरियं करेंति त्ता ||जंबुद्दीवस्स पाईणपडीणायत० एत्य णं पादो दुवे सूरिया आगासाओ उत्तिद्वंति।२१॥२-१॥ ___ता कहं ते मंडलाओ मंडलं संकममाणे २ सूरिए चारं चरति आहि०?, तत्थ खलु इमातो दुवे पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एवमाहंसुता मंडलातो मंडलं संकममाणे २ सूरिए भेयधाएणं संकामइ एगे एव०, एगे पुण०-ता मंडलाओ मंडलं संकममाणे सूरिए कण्णकलं ॥ श्री सूर्यप्रज्ञप्त्युपाङ्गम् ॥ | २२ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021018
Book TitleAgam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages133
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_suryapragnapti
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy