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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वा सुदिपरमत्थसेवणा वावि वावन्नकुदंसणवज्जणा य सम्मत्तसद्दहा ॥२॥ निस्संकिय निक्कंखिय निवितिगिच्छ। अमूढदिट्ठी यो उववूह थिरीकरणे वच्छल्ल पभावणे अट्ठ॥१३३॥ सेत्तं सरागदंसणारिया, से किं तं वीयरायदंसणारिया?, २ दुविही पं० २०उवसंतकसायवीयरायदंसणारिया यखीणकसायवीयरायदंसणारिया य,से किं तं उवसंत०?,२ दुविहा पं० २०- पढमसमयउवसंत. य अपढमसमयउवसंत० य, अहवा चरिमसमय० य अचरिमसमय० य, से किं तं खीणकसायवीयरायदंसणारिया?, २ दुविहा पं० २० छउम्त्थखीण० केवलिखीण० य, से किं तं छउमंत्थ्खीण०?, २ दुविह। पं० २०-सयंबुद्धच्छउम्त्थखीण० य बुद्धबोहियच्छउमत्थखीण० य, से किं तं सयंबुद्धच्छउमत्थखीण०?, २ दुविहा पं० ०-पढमसमयसयंबुद्ध० य अपढमसमय० य, अहवा चरिमसमय० य अचरिमसमय० य, सेत्तं सयंबुद्धच्छउमत्थखीण०, से किं तं बुद्धबोहियच्छउमत्थखीण?, २ दुविहा पं० २०-पढमसमयबुद्धबोहिय० य अपढमसमयबुद्धबोहिय० य, अहवा चरिमसमय० य अचरिमसम० य, सेत्तं छउम्त्थ खीण०, से किं तं केवलिखीण०?, २ दुविहा पं० ०-२ सजोगिकेवलिखीण० य अजोगिकेवलिखीण० य, से किं तं सजोगिकेवलि०?, २ दुविहा पं० २०-पढभसमयसजोगिकेवलि० अपढमसमयसजोगिकेवलि० य,अहवा चरिमसमयसजोगि० अचरिमसमयसजोगि०, यसेत्तं सजोगिकेवलि०, से किं तं अजोगिकेवलि०?, २ दुविहा पं० २०-पढमसमयअजोगिकेवलि० य अपढमसमयअजोगिकेवलि० य,अहवा चरिमसमयअजोगि० अचरिमसमयअजोगि० य, सेत्तं अजोगिकेवलिखी०, सेत्तं केवलिखीण०,सेत्तं खीणकसायवीयराय॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥ | २८ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021017
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size19 MB
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