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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अंकलिवी गणियलिवी गंधव्वलिवी आयंसलिवी माहेसरी दोभिलिवी पोलिन्दी १८, सेत्तं भासारिया, से किं तं नाणारिया?, २ | पंचविहा पं००-आभिणिबोहियनाणारिया सुय० ओहि० मणपजव० केवलनाणारिया सेत्तं नाणारिया, से किं तं दंसणारिया?, २ दुविहा पं० २०-सरागदसणारिया य वीयरायदंसणारिया य, से किं तं सरागदसणारिया ?, २ दसविहा पं० २०-निसग्गुवएसरुई आणरुई सुत्तबीयरुइमेवी अभिगमवित्थाररुई किरियासंखेवधम्मरुई ॥१२०॥ भूयत्थेणाहिगया जीवाजीवे य पुण्णपावं चो सहसंमुइया आसवसंवरे य रोइए उ निसग्गा ॥१॥ जो जिणदिवे भावे चविहे सदहाइ सयमेव। एमेव नन्नहत्ति य निसग्गरुइत्ति नायव्वो ॥२॥ एए चेव 3 भावे उवदितु जो प्रेण सद्दहइ। छउमत्थेण जिणेव व उवएसरुइत्ति नायव्वो ॥३॥ जो हेउमयाणतो आणाए रोयए पवयंणं तु। एमेव नन्नहत्ति य एसो आणारुई नाम॥४॥ जो सुत्तमहिज्जन्तो सुएण ओगाहई 3 सम्पत्ती अंगण बाहिरेण वसो सुत्तरुइत्तिणायव्वो॥५॥ एगपएऽणेगाई पदाइजो पसरई उसम्मत्ती उदएव्व तिल्लबिंदू सो बीयरुइत्ति नायव्वो॥६॥ सो होइ अभिगमरुई सुयनाणं जस्स अत्थ्ओ दिट्ठी इकारस अंगाई पइन्नगा दिद्विवाओ य ॥७॥दव्वाण सव्वभावा सव्वयमाणेहिं जस्स उवलद्धा सव्वाहिं नयविहीहिं वित्थाररुइत्ति नायव्वो॥८॥दसणनाणचरित्ते तवविणए सच्चसमिइगत्तीसोजो किरियाभावरुई सो खलु किरियारुई नाम ॥९॥ अणभिगहियकुदिट्ठी संखेवरुइत्ति होइ नायव्यो। अविसारओ पवयणे अणभिग्गहिओ य सेसेसु ॥१३०॥ जो अस्थिकायधम्म सुयधम्म खलु चरित्तधम्म ची सद्दइह जिणाभिहियं सो धम्मरुइत्ति नायव्वो ॥१॥ परमत्थसंथवो || श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥ | २७ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021017
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size19 MB
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