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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अचरमन्तपएसा अणन्त० लोगस्स य अलोगस्स य चरमन्तपदेसा य अचरमन्तपदेसा य दोवि विसे० दव्वट्ठपएसट्टयाए सव्वत्थोवे || लोगालोगस्स दव्वट्ठयाए एगभेगे अचरमे लोगस्स चरमाइं असंखे० अलोगस्स चरमाई विसेसा० लोगस्स य अलोगस्स य अचरम चरमाणिय दोवि विसेसा० पएसट्टयाए लोगस्स चरमन्तपदेसा असंखे० अलोगस्स य चरमन्तपएसा विसे० लोगस्स अचरमन्तपएसा असंखे० अलोगस्स अचमतपएसा अणंत० लोगस्स य अलोगस्स य चमन्तपएसा अचरमन्तपएसा य दोवि विसे० सव्वदव्वा विसे० सव्वपएसा अणंत० सव्वपजवा अणंतगुणा १५६। परमाणुपोग्गले णं भंते! किं चरिमे अचरिमे अवत्तव्वए चमाई अचमाई अवत्तव्व्याई उदाहु चरिमे य अचरिमे य उदाह चरमे अचरमाइंच उदाह चरमाई अचरमे य उदाहु चमाई अचरमाई च् पढमा चउभंगी१० उदाहु चरिमेय अवत्तव्वए य उदाहु चरमेय अवत्तव्वयाई च उदाहु चरमाइंच अवत्तव्बए च उदाहु चरमाईच अवत्तव्वयाई च बीया चउभंगी उदाहु अचरिमे य अवत्तव्वए य उदाहु अचरमे य अवत्तव्क्याइंच उदाहु अचरमाइं च अवतव्वए य उदाहु अचरमाइं च अवत्तव्वयाई च तइया चउभंगी उदाहु चरमे य अचरमे य अवत्तव्वए य उदाहु चमे य अचरमे य अवत्तव्क्याई |च २० उदाहु चरमे य अचरमाइंच अवत्तव्वए य उदाहु चमे य अचरमाई च अवत्तव्वयाई च उदाह चरमाइं च अचरमे य अवत्तव्वए य उदाहु चरमाइंच अचरमे य अवत्तव्व्याई च उदाहु चरमाइंच अचरमाइं च अवत्तव्वए य उदाहु चरमाइंच अचरमाई च अवत्तव्वयाइं च एते छव्वीसं भंगा, गो०! परमाणुपोग्गले नो चरमे नो अचरमे नियमा अवत्तव्वए, सेसा भंगा पडिसेहेयव्वा १५७ || श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021017
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size19 MB
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