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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एगे अचरिमे चरिमाइं असंखिज्जगुणाई अचरिमं चरिमाणिय दोवि विसेसाहिआ पएसट्ठयाए सव्वत्थोवा इमीसे रयणप्यभाए पुढवीए चरमन्तपदेसा अचरमंतप० असंखे० चमतपदेसा य अचरमंतपदेसा य दोवि विसे० दवट्ठपएसद्वयाए सव्वत्थोवा इमीसे रयणप्यभाए पुढवीए दवट्ठयाए एगे अचरिमे चरिमाइं असंखे० अचरिमं चरिमाणिय दोवि विसे० चरमंतपएसा असंखे० अचरमंतपएसा असंखि० चरमंतपएसा य अचरमंतपएसा य दोवि विसेसाहिआ, एवं जाव अहेसत्तमाए, सोहम्मस्स जाव लोगस्स एवं चेवो१५५। अलोगस्स स्सय चरमाण य चरमन्तपदेसाण य अचरमन्तपदेसाण य दवढयाए पएसट्टयाए दवटुपएसट्टयाए क्यरे०?, गो०! सव्वत्थोवे अलोगस्स दवट्ठयाए एगे अचर चरमाई असंखि० अचमं चरमाणि य दोवि विसेसा० पएसट्टयाए सव्वत्थोवा अलोगस्स चरमन्तपदेसा अचरमन्तपएसा अणंतगुणा चरमन्तपदेसा य अचरमन्तपदेसा य दोवि विसे० दवट्ठपएसट्टयाए सव्वत्थोवे अलोगस्स एगे अचर चरमाई असंखेज० अचमं च चरमाणि य दोवि विसेसा० चरमन्तपएसा असंखे० अचरमन्तपएसा अणन्त० चरमन्तपएसा य अचरमन्तपएसा य दोवि विसे०, लोगालोगस्स णं भंते० अचरमस्स य चरमाण २ चमन्तपएसाण य अचरमन्तपएसाण य दवट्ठयाए पएसट्टयाए दवट्ठपएसट्टयाए क्यरे०?, गो०! सव्वत्थोवे लोगालोगस्स दवट्ठयाए एगमेगे अचरमे लोगस्स चरमाइं असंखे० अलोगस्स चरमाई विसेसा० लोगस्स य अलोगस्स य अचरम् च चरमाणि य दोवि विसेसा० पएसद्वयाते सव्वत्थोवा लोगस्स चरमन्तपदेसा अलोगस्स चरमन्तपदेसा विसेसाहिआ लोगस्स अचरमन्तपएसा असंखे० अलोगस्स ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥] | १५४ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021017
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size19 MB
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