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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गो०! जह० एगं समयं उदो० णव राईदियाई वीसाई मुहुत्ताई, माहिंदे०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० बारस राइंदियाणं दस मुहुत्ता, बंभलोए०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० अद्धतेवीसं राइंदियाई, लंतगदेवाणं पुच्छ।, गो०! जह० एगं समयं उक्को० प्रणतालीसं राइंदियाई, महासुक्कदेवाणं पुच्छा, गो०! जह० एगं समयं उक्को० असीई राइंदियाई, सहस्सारे०, गो०! जह० एगं समयं उक्को० राइंदियसयं, आणयदेवाणं०, गो०! जह० एगं समयं उक्को० संखेज्जमासा, पाणय देवाणं०, गो०! जह० एगं समयं उक्को० संखेज्जमासा, आरणदेवाणं० गो०! जह० एगं समयं उक्को० संखिज्जवासा, अच्चुयदेवाणं०, गो०! जह० एगं समयं उक्को० संखिज्जा वासा, हिडिमगेविजाणं०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० संखिजाई वाससयाई, मझिमगेविजाणं०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० संखिजाई वाससहस्साई, उरिमगेविजाणं०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० संखिज्जाई वाससयसहस्साई, विजयवेजयंतजयंत अपराजितदेवाणं पुच्छा, गो०! जह० एगं समयं उक्को० असंखेज कालं, सव्वट्ठसिद्धगदेवाणं पुच्छा, गो०! जह० एगं समयं उक्को० पलिओवभस्स संखिन्जइभाग, सिद्धा णं भंते! केवइयं कालं विरहिया सिझणाए पं०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० छम्मासा१२३ रयणप्पभापुढवीनेरइया णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उन्वट्टणाए पं०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० चउव्वीसं मुहुत्ता एवं सिद्धवज्जा उव्वट्टणावि भाणियव्वा जाव अणुत्तरोववाइयत्ति नवरं जोइसिय वेमाणिएसु चयणंति अहिलावो कायव्वोदारं२।१२४। नेरझ्या णं भंते! किं संतरं उववज्जति निरंतरं उववज्जति?, ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021017
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size19 MB
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