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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir |एगं समयं उक्को० दो मासा, तमा० केवइयं कालं विर० उ० पं०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० चत्तारि मासा, अहेसत्तमा० | केवइयं कालं विर० उववा० पं०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० छम्मासा, असुरकुमार णं भंते! केवइयं कालं विर० उववा० पं०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० चउव्वीसं मुहुत्ता, नाग० केवइयं कालं विर० उववा० पं०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० चउव्वीसं मुहुत्ता, एवं सुवनविजुअग्गिदीवदिसाउदहिवाउणियकुमाराणं पत्तेयं जह० एगं समयं उक्को० चउव्वीसं मुहुत्ता, पुढवीकाइया णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उववा० पं०?, गो०! अणुसमयमविरहियं उववाएणं पं०, एवं आउतेउवाउवणस्सइकाइयाणवि अणुसमयं अविरहिया उववाएणं पं०, बेइंदिया णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उववा० पं०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० अंतोमुत्तं, एवं तेइंदियचउरिदिया, संमुच्छिमपंचिंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उव० ०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० अंतो०, गब्भवतियपंचेंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते! केवइयं कालं विर० उववा० पं०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० बारस मुहुत्ता, संमुच्छिममणुस्सा णं भंते! केवइयं कालं विर० उववा० पं०?, गो० जह० एगं समयं उक्को० चउव्वीसं मुहुत्ता, गब्भवतियमणुस्साणं जह० एगं समयं उक्को० बारस मुहुत्ता, वाणमंतराणं जह० एगं समयं उक्को० चउव्वीसं मुहुत्ता, जोइसियाणं पुच्छ।, गो०! जह० एगं समयं उक्को० चउव्वीसं मुहुत्ता, सोहम्मे कप्पे देवा०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० चउव्वीसं मुहुत्ता, ईसाणे०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० चउव्वीसं मुहुत्ता, सणंकुमारे०?, ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021017
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size19 MB
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