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'बारस चवीसाई सअंतरं एगसमय कत्तो यो उव्वट्टण प्रभवियाउयं च अद्वैव आगरिसा॥१८२॥ निरयगई णं भंते! केवइयं|| कालं विरहिया उववाएणं पं०?, गो०! जह० एक्कं समयं उक्को० बारसमुहुत्ता, तिरियगई णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पं०?, गो०! जह० एगं समयं उक्लो० बारसमुहुत्ता, मणुयगई णं भंते०! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पं०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० बारस मुहत्ता, देवगई णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पं०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० बारस मुहुत्ता, सिद्धिगई णं भंते! केवइयं कालं विरहिया सिझणाए पं०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० छम्मासा, निरयगई णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उव्वट्टणाए पं०?, गो०! जह० एकं समयं उक्को० बारस मुहुत्ता, तिरियगई णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उव्वल पं०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० बारस मुहुत्ता, मणुयगई णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उव्वट्टणाए पं०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० बारस मुहुत्ता, देवगई णं भंते! केवइयं कालं विरहिया उव्वट्टणाए पं!?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० बारस मुहुत्ता दारं१११२२१ रयणप्यभापुढवीनेरझ्या णं भंते! केवइयं कालं विर० उ० पं०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० चउव्वीसं मुहुत्ता, सक्करप्यभा० केवइयं कालं विर० उववाएणं पं०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को. सत्तराइंदियाणि, वालुयप्यभा० केवइयं कालं विर० उववा० पं०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० अद्धमासं, पंकप्यभा० केवइयं कालं विर० उववा० ६०?, गो०! जह० एगं समयं उक्को० मास, धूमप्यमा० केवइयं कालं विर० उववा० ५०?, गो०! जह० ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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