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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सावत्थीए णयरीए इंदमहेइ वा जाव सागरमहेइ वा जेणं इमे बहवे जाव विंदाविंदएहिं निग्गच्छंति, एवं खलु भो देवाणुप्पिया ! पासावच्चिज्जे के सीनामं कुमारसमणे जाइसम्पन्ने जाव दूइज्जमाणे इहभागए जाव विहरइ तेणं अज्ज सावत्थीए नयरीए बहवे उग्गा जाव इब्भा इब्भपुत्ता अप्पेगतिया वंदणवत्तियाए जाव महया वंदावंदएहिं णिग्गच्छंति, तए णं से चित्ते सारही कंचुइपुरिसस्स अंतिए एयमठ्ठे सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठजावहियए कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ ता एवं व० - खिप्पामेव भो देवाणुपिया ! चाउग्घंटं आशरहं जुत्तामेव अवटुवेह जाव सच्छत्तं उवद्वेवेति, तए णं से चित्ते सारही पहाए कयबलिकम्मे कयको उयमंगलपायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाई मंगल्लाई वत्थाई पवरपरिहिते अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे जेणेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ ता चाउग्घंटं आसरहं दुरुहइ ता सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं महया भडचडगरविंदपरिक्खित्ते सावत्थीनगरीए मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ त्ता जेणेव कोट्ठए चेइए जेणेव केसीकुमारसमणे तेणेव उवागच्छइ ता के सिकुमारसमणस्स अदूरसामंते तुरए णिगिण्हइ रहं ठवेइ त्ता पच्चोरुहति ता जेणेव केसीकुमारसमणे तेणेव उवागच्छइ ना के सिकुमारसमणं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ ता वंदइ नमसइ ता णच्चासण्णे णातिदूरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे पंजलिउडे विणएणं पज्जुवासइ, तए णं से केसीकुमारसमणे चित्तस्स सारहिस्स तीसे य महतिमहालियाए महच्चपरिसाए चाउज्जामं धम्मं परिकहेइ, तं०-सव्वाओ पाणाइवायाओ वेरमणं सव्वाओ मुसावायाओ वेरमणं सव्वाओ अदिण्णादाणाओ वेरमणं सव्वाओ बहिद्धादाणाओ वेरमणं, नए णं सा महतिमहालिया महच्चपरिसा के सिस्स कुमारसमणस्स ॥ श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित ६८ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only
SR No.021015
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages121
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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