________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सच्चप्पहाणे सोयप्पहाणे नाणप्पहाणे दंसणप्पहाणे चरित्तप्पहाणे चउदसपुव्वी चणाणोवगए पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं संपरिवुडे || पुव्वाणुपुब्बिं चरमाणे गामाणुगामं दूइजमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव सावत्थी नयरी जेणेव कोढए चेइए तेणेव उवागच्छइ त्ता सावत्थीए नयरीए बहिया कोहए चेइए अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हइ त्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ १५३ । तए णं सावत्थीए नयरीए सिंघाडगतियचक्कचच्चरचउम्मुहमहापहपहेसु महया जणसद्देइ वा जणवूहेइ वा जणकलकलेइ वा जणबोलेइ वा जणउम्मीइ वा जणउकलियाइ वा जणसनिवाएइ वा जाव परिसा पज्जुवासइ, तए णं तस्स चित्तस्स सारहिस्स तं महाजणसहं च जणकलकलं च सुणेत्ता य पासेत्ता य इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था किण्णं खलु अज्ज सावत्थीए णयरीए इंदमहेइ वा खंदमहेइ वा रुद्दमहेइ वा मउंदमहेइ वा नागमहेइ वा भूयमहेइ वा जक्खमहेइ वा थूभमहेइ वा चेइयमहेइ वा रुक्खमहेइ वा गिरिमहेइ |वा दरिमहेइ वा अगडमहेइ वा नईमहेइ वा सरमहेइ वा सागरमहेइ वा जंणं इमे बहवे उग्गा भोगा राइना इक्खागा खत्तिया णाया कोरव्वा जाव इब्मा इब्मपुत्ता बहाया क्यबलिकम्मा जहोववाइए जाव अप्पेगतिया इयगया जाव अपे० गयगया अप्पे० पायचारविहारेणं महया वंदावंदएहिं निग्गच्छंति, एवं संपेहेइ त्ता कंचुइज्जपुरिसं सद्दावेइ त्ता एवं व०-किण्णं देवाणुप्पिया! अज्ज |सावत्थीए नगरीए इंदमहेइ वा जाव सागरमहेइ वा जेणं इमे बहवे उग्गा भोगा० णिग्गच्छंति?, तए णं से कंचुइपुरिसे केसिस्स कुमारसमणस्स आगमणगहियविणिच्छए चित्तं सारहिं कयलपरिग्गहियं जाव वद्धावेत्ता एवं ३०-णो खलु देवाणुप्पिया! अज ॥ श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥
[पू. सागरजी म. संशोधित
For Private and Personal Use Only