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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir देवाणु ० एगे तवोकम्म उवसंपजित्ताणं विहरति तणणं अम्हेहिं सव्वेहिं तवोकम्मं उपसंपजित्ताण( कप्पइ) विहरित्तएत्तिकटु अण्णमण्णस्स एयमटुं पडिसुणेति त्ता बहूहि चउत्थ जाव विहरंति, तते णं से महब्बले अणगारे इमेणं कारणेणं इत्थ्णिाभगोयं कम्मनिव्वत्तेसु जति णं ते महब्बलवज्जा छ अणगारा उत्थं उसंपजित्ताणं विहरति ततो से महब्बले अणगारे छटुं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ, जति णं ते महब्बलवजा अणगारा छठें उवसंपजित्ताणं विहरंति ततो से महब्बले अणगारे अटुमं उवसंपज्जित्ताणं विहरति, एवं अट्ठमं तो दसमं अह दसमं तो दुवालसमं, इमेहि यणं वीसाएणय कारणेहिं आसेवियबहुलीकएहिं तित्थ्यरनामगोयं कम्म निव्वत्तिंसु, तं०-"अहंत सिद्ध पवयण गुरु थेर बहुस्सुए तवस्सीसु । वच्छल्लया य तेसिं अभिक्खणाणोवओगे य ॥४॥ दस आवस्सए यसीलव्वए निरइयारो खणलवतवच्चियाए वेयावच्चे समाहीय ॥५॥अप्युव्वणाणगहणे सुयभत्ती पयवणे पभावणया२० एएहिं कारणेहिं तित्थ्यरत्तं लहइ जीवो (प्र० एसो, सो 3)॥६॥" तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा मासियं भिक्खुपडिम उवसंपज्जित्ताणं विहरंति जाव एगराइयं० उ०, तते णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा खुड्डागं सीहनिक्कीलियं तवोकम्म उवसंपजिताणं विहरंति, तं०-चउत्थंकरंति त्ता सव्वकामगुणियं पारेति त्ता छटुं करेंतिना चउत्थं करेंति त्ता अट्टमं करेंति त्ता छ, करेंति त्ता दसमं करेंति त्ता अट्ठभं करेंति ना दुवालसमं करेंति त्ता दसमं करेंति त्ता चोहसमं करेंति त्ता दुवालसमं करेंति त्ता सोलसमें करेंति ता चोहसमं करेंति त्ता अट्ठारसभं करेंति ना सोलसमं करेंति त्ता वीसइमं करेंति ना अट्ठारसमं करेंति ना वीसइमं करेंति त्ता || श्रीजाताधर्मकथाङ्गम् ॥ | पू. सागरजी म. संशोधित १०७ For Private And Personal
SR No.021008
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Prakashan
Publication Year2005
Total Pages279
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size74 MB
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