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| कालेणं० सावत्थीनाम णयरी होत्था वन्नओ, कोढए चेइए वत्रओ जाव वणसंडस्स, तेणं कालेणं० चंपा नाम नयरी होत्था वन्नओ.|| पुन्नभद्दे चेइए वन्नओ जाव पुढवीसिलावट्टओ, तए णं से जमाली अणगारे अन्नया कयाई पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं संपरिखुडे पुवाणपछि चरमाणे गामाणुगाभं दूइज्जमाणे जेणेव सावत्थी नयरी जेणेव कोटुए चेइए तेणेव उवागच्छइत्ता अहापडिरूवं उग्गह उग्गिण्हति ना संजमेणं तवसा अपाणं भावेमाणे विहरइ, तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयावि पुव्वाणुपुदि चरमाणे जाव सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव चंपानगरी जेणेव पुनभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छइ त्ता अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हति त्ता संजमेणं तवसा अपाणं भावेमाणे विहरइ, तए णं तस्स जमालिस्स अणगारस्स तेहिं असेहि य विरसेहि य अंतेहि य पंतेहि य लूहेहि य तुच्छेहि य कालाइछतेहि य पमाणाइतेहि य सीतएहि य पाणभोयणेहिं अन्नया क्यावि सरीरगंसि विउले रोगातंके पाउब्भूए उजले ति(वि पा० )उले पगाढे ककसे कडुए चंडे दुक्खे दुग्गेतिव्वे दुराहियासे पित्तज्जरपरितगतसरीरे दाहवकंतिए यावि विहरइ, तए णं से जमाली अणगारे वेयणाए अभिभूए समाणे समणे णिग्गंथे सद्दावेइ त्ता एवं वयासी तुझे णं देवाणुप्पिया ! मम सेज्जासंथारगं संथरेह, तए णं ते सभणा णिग्गंथा जमालिस्स अणगारस्स एयमटुं विणएणं पडिसुणति त्ता जमालिस अणगारस्स सेजासंथारगं संथरेंति, तए णं से जमाली अणगारे बलियतरं वेदणाए अभिभूए समाणे दोच्चंपि समणे निग्गंथे सद्दावेइ त्ता दोच्चंपि एवं वयासी ममन्नं देवाणुप्पिया ! सेज्जासंथारए किं कडे ?, एवं वुत्ते समाणे समणानिग्गंथा बिंति भो सामी ! कीरइ, तए णं ते समणा निग्गंथा जमालिं अणगारं एवं ॥ ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
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