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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | वयासी णो खलु देवाणुप्पियाणं सेज्जासंथारए कडे, कज्जति, तए णं तस्स जमालिस्स अणगारस्स अयमेयारूवे अज्झथिए जाव | समुप्यज्जित्था जन्नं समणे भगवं महावीरे एवं आइक्खड़ जाव एवं परूवेइ एवं खलु चलमाणे चलिए उदीरिजमाणे उदीरिए जाव निज्जरिज्जमाणे णिज्जिन्त्रे तं णं मिच्छा, इमं च णं पच्चक्खमेव दीसइ सेज्जासंथारए कज्जमाणे अकडे संथरिजमाणे असंथरिए, जम्हा णं सेज्जासंथारए कज्जमाणे अकडे संथरिजमाणे असंथरिएतम्हा चलमाणेऽवि अचलिए जाव निज्जरिजमाणेऽवि अणिज्जिन्त्रे, एवं संपेहेइ ना समणे निग्गंथे सद्दावेइ ना एवं वयासी जन्नं देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे एवं आइक्खड़जाव परूवेड़ एवं खलु चलमाणे चलिए तं चैव सव्वं जाव णिज्जरिज्जमाणे अणिजिन्ने, तए णं जमालिस्स अणगारस्स एवं आइक्खमाणस्स जाव परूवेमाणस्स अत्थेगइया समण्णा निग्गंथा एयम सद्दहंति० पत्तियंति रोयंति अत्थेगइया समणा निग्गंथा एयमट्ठ णो सद्दहंति० तत्थ णं जे ते समणा निग्गंथा जमालिस्स अणगारस्स एयमद्वं सद्दहंति० ते णं जमालिचेव अणगारं उवसंपज्जित्ताणं विहरति, तत्थ णं जे ते समणा णिग्गंथा | जमालिस्स अणगारस्स एयम णो सद्दहंति णो पत्तियंति णो रोयंति ते णं जमालिस्स अणगारस्स अंतियाओकोट्टयाओ चेइयाओ पडिनिक्खिमंति त्ता धुव्वाणुपव्विं चरमाणा गामाणुगामं दूइ० जेणेव चंपानयरी जेणेव पुन्नभद्दे चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छन्ति ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुतो आयाहिणं पयाहिणं करेंति त्ता वंदन्ति णमंसन्ति ता समणं भगवं महावीरं उवसंपज्जित्ताणं विहरति । ३८५ । तए णं से जमाली अणगारे अन्नया कयावि ताओरोगायंकाओ विष्पमुद्दे हट्टे तुट्ठे जाए अरोए ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ ५३ पू. सागरजी म. संशोधित www.kobatirth.org For Private And Personal Use Only
SR No.021006
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages283
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size17 MB
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