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वा थूभभहेइ वा जाणं एए बहवे उग्गा० भोगा० राइन्ना० इक्खागा० णाया० कोरव्वा० खत्तिया खत्तियपुत्ता भडा भडपुत्ता जहा| उववाइए जाव सत्थवाहप्पभिइओ व्हाया कयबलिकम्मा जहा उव्वाइए जाव निग्गच्छंति ?, एवं संपेहेइ त्ता कंचुइज्जपुरिसं सद्दावेति त्ता एवं वयासी किण्हं देवाणुपिया ! अज्ज खत्तियकुंडग्गामे नगरे इंदमहेइ वा जाव निगच्छंति ?, तए णं से कंचुइजपुरिसे जमालिणा खत्तियकुमारणं एवं वुत्ते समाणे हद्वतुढे समणस्स भगवो महावीरस्स आगमणगहियविणिच्छए करयल जमालिं खत्तियकुमारं जएणं विजएणं वद्धावेइ त्ता एवं व्यासीणो खलु देवाणुप्पिया! अज्ज खत्तियकुंडग्गामे नयरे इंदमहेइ वा जाव निगच्छन्ति, एवं खलु|| देवाणुप्पिया ! अज्ज समणे भगवं महावीरे जाव सव्वत्रु सव्वदरिसी माहणकुंडगामस्स नयरस्स बहिया बहुसालए चेइए अहापडिरुवं उग्गहं जाव विहरति, तए णं एए बहवे उग्गा भोगा जाव अगइया वंदणवत्तियं जाव निग्गच्छंति, तए णं से जमाली खत्तियकुमारे कंचुइजपुरिसस्स अंतिए एयभटुं सोच्चा निसम्म हटतुट्ठ कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ त्ता एवं क्यासी खियामेव भो देवाणुप्पिया ! चाउग्घंट आसरहं जुत्तामेव उवट्ठवेह त्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह, तए णं ते कोडुंबियपुरिसा जमालिणा खत्तियकुमारेणं एवं वुत्ता समाणा) जाव पच्चप्पिणंति, तए णं से जमाली खत्तियकुमारे जेणेव मजणधरे तेणेव उवागच्छइ त्ता हाए क्यबलिकम्मे जहा उववाइए परिसावत्रओ तहा भाणियव्वं जाव चंदणोकिनगायसरीरे सव्वालंकारविभूसिए मजणघराओ पडिनिक्खभइ त्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव चाउग्धंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ त्ता चाउग्धंट आसरहं दुरुहेइ त्ता सकोरंटमल्लदामेणं छतेणं धरिजमाणेणं ॥ श्रीभगवती सूत्र ॥
[पू. सागरजी म. संशोधित
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