________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobetirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
||देवाणंदा अज्जा अजचंदणाए अजाए अंतियं साभाइयमाझ्याई एक्कारस अंगाई अहिज्जइसेसतंचेव जाव सव्वदुखप्पहीणा।३८१॥ तस्सणं माहणकुंडग्गामस्स नगरस्स पच्चत्थिमेणं एत्थ णं खत्तियकुंडग्गामे नामं नगरे होत्था वन्नओ, तत्थ् णं खत्तियकुंडग्गामे नयरे जमालीनामं खत्तियकुमारे परिवसति अड्ढे दित्ते जाव अपरिभूए उप्पिंपासायवरगए फुट्टभाणेहिं मुइंगमत्थएहिं बत्तीसतिबद्धेहिं नाडएहिं णाणाविहवरतरूणीसंपउत्तेहिं उवनच्चिजमाणे उवगिज्जमाणे २ उवलालिज्जमाणे २ पाउसवासारत्तसरदहेमंतवसंतगिम्हपजते छप्पि उॐ जहाविभवेणं माणमाणे कालं गालेमाणे इढे सद्दफरिसरसरुवगंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोगे पच्च्णुभवमाणे विहरइ, तए णं|| खत्तियकुंडग्गामे नगरे सिंघाडगतियचउक्चच्चर० जाव बहुजणसद्देइ वा जहा उववाइए जाव एवं पनवेइ एवं परुवेइ एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे आदिगरे जावसव्वन्नुसव्वदरिसीमाहणकुंडग्गामस्स नगरस्स बहिया बहुसालए चेइए अहापडिरुवं जाव विहरइ, तं महाफलं खलु देवाणुप्पिया ! तहारुवाणं अहंताणं भगवंताणं जहा उववाइए जाव एगाभिमुहे खत्तियकुंडगाम नगरं मझमझेणं निग्गच्छंति त्ता जेणेव माहणकुंडगामे नगरे जेणेव बहुसालए चेइए एवं जहा उववाइए जाव तिविहाए पजुवासणाए पज्जुवासंति, तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्सतं महया जणसदं वा जाव जणसत्रिवायं वा सुमाणस्स वा पासमाणस्स वा अयमेयारुवे अझथिए जाव समुष्पजित्था किन अज खत्तियकुंडग्गामे नगरे इंदमहेइ वा खंदमहेइ वा मुगुंदमहेइ वा रुद्दमहेइ वा णागमहेइ वा जक्खमहेइ वा भूयमहेइ वा कूवमहेइ वा तडागमहेइ वा नईमहेइ वा दहमहेइ वा पव्वयमहेइ वा रुक्खमहेइ वा चेइयमहेइ | ॥श्रीभगवती सूत्र ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal Use Only