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माणसे संजूहे देवे उववजति, से णं तत्थ दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ त्ता ताओ देवलोगाओ आउखएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता पढमे सनिगब्भे जीवे पच्चायाति, से णं तओहिंतो अणंतरं उव्वट्टित्ता मझिल्ले माणसे संजूहे देवे| उववजइ, से णं तत्थ दिव्वाई भोगभागाइं जाव विहरित्ता ताओ देवलोयाओ आउ जाव चइत्ता दोच्चे सनिगब्भे जीवे पच्चायाति, से णं तओहिंतो अणंतरं उव्वट्टित्ता हेटिल्ले माणसे संजूहे देवे उववजइ, से णं तत्थ दिव्वाइं जाव चइत्ता तच्चे सनिगब्भे जीवे पच्चायाति, सेणं तओहिंतो जाव उव्वट्टित्ता उवरिल्ले माणुसुत्तरे संजूहे देवे उववजति, से णं तत्थ दिव्वाई भोग जाव चइत्ता चउत्थे सनिगब्भे जीवे पच्चायाति, से णं तओहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता मझिल्ले माणुसुत्तरे संजूहे देवे उववजति, से णं तत्थ दिव्वाइं जाव चइत्ता पंचमे सन्निगन्भे जीवे पच्चायाति, सेणं तओहिंतो अणंतरं उव्वट्टित्ता हिडिल्ले माणुसुत्तरे संजूहे देवे उववजति, सेणं तत्थ दिव्वाई भोग जाव चइत्ता छटे सन्निगन्भे जीवे पच्चायाति, से तओहिंतो अणंतरं उव्वहिता बंभलोगे नाम से कप्पे पं० पाईणपडीणायते उदीणदाहिणविच्छिन्ने जहागणपदे जाव पंच वडेंसगा पं० २०-असोगवडेंसए जाव पडिरूवा, सेणं तत्थ देवे उववज्जइ, सेणं तत्थ दस सागरोवमाइं दिव्वाई भोग जाव चइत्ता सत्तमे सनिगन्भे जीवे पच्चायाति, से णं तत्थ नवण्हं मासाणं बहुपडिपुत्राणं अद्धट्ठमाण जाव वीतिवंताणं सुकुमालगभद्दलए मिउकुंडलकुंचियकेसए मढगंडतलकन्नपीढए देवकुमारसप्पभए दारए पयायति, से णं अहं कासवा!, तेणं अहं आउसो! कासवा! कोमारियपव्वज्जाए कोमारएणं बंभचेरवासेणं अविद्धकन्नए चेव संखाणं पडिलभामि त्ता इमे सत्त पउपरिहारे ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
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