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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवलोएस देवत्ताए उववत्रे, अहन्नं उदाइनामं कुंडियायणीए अज्जुणस्स गोयमपुत्तस्स सरीरंगं | विष्पजहामि त्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरंगं अणुष्यविसामि त्ता इमं सत्तमं पउट्टपरिहारं परिहरामि, जेऽविआई आउसो ! कासवा ! अम्हं समयंसि केई सिज्झिसु वा सिज्यंति वा सिज्झिस्संति वा सव्वे ते चउरासीतिं महाकप्पसयसहस्साइं सत्त दिव्वे सत्त संजू सत्त संनिगब्भे सत्त पउट्टपरिहारे पंच कम्माणि सयसहस्साई सठि च सहस्साइं छच्च सए तिन्नि य कम्मंसे अणुपव्वेणं खवइत्ता तओ पच्छा० सिज्यंति बुज्झति मुच्यंति परिनिव्वाइंति सव्वदुक्खाणमंतं करेंसु वा करेंति वा करिस्संति वा, से जहा वा गंगा महानदी जओ पवूढा जहिं वा पज्जुवत्थिया एस णं अद्धपंचजोयणसयाई आयामेणं अद्धजोयणं विक्खंभेणं पंच धणुसयाई उव्वेहेणं एएणं गंगापमाणेणं માં सत्त गंगाओ सा एगा महागंगा सत्त महागंगाओ सा एगा सादीणगंगा सत्त सादीणगंगाओ सा एगा मच्चुगंगा सत्त मच्चुगंगाओ सा एगा लोहियगंगा सत्त लोहियगंगाओ सा एगा आ(प्र०अ )वतीगंगा सत्त आवतीगंगाओ सा एगा परमावती० एवामेव सपुव्वावरे एगं गंगासय सहस्सं सत्तर सहस्सा छच्चगुणपन्नगंगासया भवतीतिभक्खाया, तासिं दुविहे उद्धारे पं० तं० - सुहुमबोदिकलेवरे चेव बायरबोंदिकलेवरे चेव, तत्थ णं जे से सुहुमबोंदिकलेवरे से ठप्पे, तत्थ णं जे से बायरबोंदिकलेवरे तओ णं वाससए २ गए एगमेगं गंगावालुयं अवहाय जावतिएणं कालेणं से कोट्टे खीणे णीरए निल्लेवे निट्ठिए भवति सेत्तं सरे सरम्यमाणे एएणं सरम्पमाणेणं तिन्नि सरसयसाहस्सीओ से एगे महाकप्पे चउरासीई महाकप्पसय सहस्साई से एगे महामाणसे, अनंताओ संजूहाओ जीवे चयं चइत्ता उवरिल्ले ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ २२२ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021006
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages283
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size17 MB
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