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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | परिहरामि तं०-एणेज्जगस्स मल्लरामस्स मल्लमंडियस्सरो (प्र० रा ) हस्स भारद्दाइस्स अज्जुणगस्स गोयमपुत्तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स, तत्थ णं जे से पढमे पउट्टपरिहारे से णं रायगिहस्स नगरस्स बहिया मंडियकुच्छिंसि चेइयंसि उदाइस्स कुंडियायणस्स सरीरं विप्पजहामि त्ता एणेज्जगस्स सरीरगं अणुष्पविसामि ना बावीसं वासाई पढमं पउट्टपरिहारं परिहरामि, तत्थ णं जे से दोच्चे पउट्टपरिहारे से उद्दंडपुरस्स नगरस्स बहिया चंदोयरणंसि चेइयंसि एणेज्जगस्स सरीरंगं विष्पजहामि ता मल्लरामस्स सरीरंगं अणुष्पविसामि त्ता एकवीस वासाइं दोच्चं पउट्टपरिहारं परिहरामि, तत्थ णं जे से तच्चे पउट्टपरिहारे से णं चंपाए नगरीए बहिया अंगमंदिरंभि चेइयंसि मल्लरामस्स सरीरगं विप्पजहामि त्ता मल्लमंडियस्स सरीरंगं अणुष्पविसामि त्ता वीसं वासाइं तच्चं पउट्टपरिहारं परिहरामि, तत्थ णं जे से चउत्थे पउट्टपरिहारे से णं वाणारसीए नगरीए बहिया काममहावणंसि चेइयंसि मंडियस्स सरीरंगं विष्यजामि ता रोहस्स सरीरंगं अणुष्पविसामि ता एकूणवीसं वासाइ य चउत्थं पउट्टपरिहारं परिहरामि, तत्थ णं जे से पंचमे पउट्टपरिहारे से णं आलभियाए नगरीए बहिया पत्तकालयंसि | चेइयंसि रोहस्स सरीरगं विष्पजहामि त्ता भारद्दाइस्स सरीरगं अणुष्पविसामि त्ता अट्ठारस वासाई पंचमं पउट्टपरिहारं परिहरामि, तत्थ णं जे से छट्टे पउट्टपरिहारे से णं वेसालीए नगरीए बहिया कोंडियायणंसि चेइयंसि भारद्दाइयस्स सरीरंगं विष्पजहामि ता अज्जुणगस्स गोयमपुत्तस्स सरीरंगं अणुष्पविसामि त्ता सत्तर वासाई छठ्ठे पउट्टपरिहारं परिहरामि, तत्थ णं जे सत्तमे पउट्टपरिहारे से णं इहेव सावत्थीए नगरीए हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणंसि अज्जुणगस्स गोयमपुत्तस्स सरीरंगं विष्पजहामि त्ता गोसालस्स मंखिलपुत्तस्स सरीरगं ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ २२४ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021006
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages283
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size17 MB
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