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थेरेहिं कडाईहिं सद्धि विपुलं पव्वयं सणियं २ दुरूहित्ता मेघघणसत्रिगासं देवसत्रिवात पुढवीसिलावट्टयं पडिलेहित्ता दब्भसंथारयं|| संथरित्ता दब्भसंथारोवण्यस्स संलेहणाजोसणाजूसियस्स भत्तपाणपडियाइक्खियस्स पाओवगयस्स कालं अणवखमाणस्स विहरित्तएत्तिकटु एवं संपेहेइ त्ता कल पाउप्पभायाए रयणीए जाव जलंते जेणेव समणे भग० जाव पज्जुवासति, खंदयाइ समणे|| भगवं महावीरे खंदयं अणगारं एवं क्यासी से नूणं तव खंदया! पुन्वरत्तावरत्तकालस० जाव जागरमाणस्स इमेयारूवे अब्भत्थिए जाव समुप्पजित्था एवं खलु अहं इमेणं एयारूवेणं तवेणं ओरालेणं विपुलेणंतं चेव जाव कालं अणवस्खमाणस्स विहरित्तएत्तिकटु एवं संपेहेसित्ता कल्लं पाउप्पभायाए जाव जलते जेणेव मम अंतिए तेणेव हव्वमागए, से नूणं खंदया! अढे समढे ?, हंता अस्थि, अहासुह देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं० १९३१ तए णं से खंदए अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भ्णु ण्णाए समाणे हद्वतुद्ध जाव हयहियए। उठाए उठेइ त्ता समणं भगवं महा० तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ त्ता जाव नमंसित्ता सयमेव पंच महब्बयाई आरूहेइ त्ता समणे यसमणीओ यखामेइत्ता तहारूवेहि थेरेहिं कडाईहिं सद्धिं विपुलं पव्वयं सणियं २ दुरूहेइ मेहधणसत्रिगासं देवसत्रिवायं पुढवीसिलावट्टयं पडिलेहेइ त्ता उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ त्ता दब्भसंथारयं संथरइ त्ता पुरत्थाभिमुहे संपलियंकनिसने करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं वदासी नमोऽत्थु णं अहंताणं भगवंताणं जाव संपत्ताणं, नमोऽत्थु णं समणस्स भगवओम० जाव संपाविउकामस्स, वंदामि णं भगवंतं तत्थ गयं इह गते, पास मे भयवं तत्थ् गए इह गयंतिकटु वंदइनमसतिता एवं वदासी | ॥श्रीभगवती सूत्र॥
[पू. सागरजी म. संशोधित
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