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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir |जे ते सेलेसिपडिवनगा य ते णं लक्विीरिएणं स्वीरिया करणवीरिएणं अवीरिया, तत्थ णं जे ते असेलेसिपडिवनगा ते लक्विीरिएणं|| सवीरिया करणवीरिएसवीरियावि अवीरियावि, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ जीवा दुविहा पं०२०- सवीरियावि अवीरियावि, नेझ्या ण भंते ! किं सवीरिया अवीरिया ?, गोयमा ! नेइया लक्विीरिएण सीरिया करणवीरिएणं सवीरियावि अवीरयिावि, से केणद्वेणं०?, गोयमा ! जेसिंणं नेइयाणं अस्थि उढाणे कम्मे बले वीरिए पुरसकारपरक्कमे ते ण नेरइया लद्धिवीरिएणविसवीरिया करणवीरिएणवि सवीरिया, जेसिंण नेइयाणं नथि उढाणे जाव परकम्मे ते गं नेइया लद्धिवीरिएणं सवीरिया करणवीरिएणं| अवीरिया, से तेणद्वेण०,जहा नेरइया एवं जाव पंचिदियतिरिक्खजोणिया. मणुस्सा जहा ओहिया जीवा, नवरं सिद्धवजा भाणियव्वा, |वाभंतरजोइसवेमाणिया जहा नेरइया, सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति । ७२ ॥श. १३.८॥ । कहनं भंते! जीवा गरुयत्तं हमागच्छन्ति ?, गोयमा! पाणाइवाएणं मुसावाएणं अदिन्नमेहुणपरिकोहमाणमायालोभपेज्जदोसकलहअब्भक्खाणयेसुन्नतिअरतिपपरिवायभायामासमिच्छादसणसल्लेणं, एवं खलु गोयमा ! जीवा गायत्तं हव्वमागच्छंति, कहनं भंते ! जीवा लहुयत्तं हमागच्छंति ?, गोयमा! पागाइवायवेमणेणं जाव मिच्छादसणसल्लवेरमणेणं, एवं खलु गोयमा ! जीवा लहुरात्तं हव्वमागच्छन्ति, एवं संसारं आउलीकरेंत एवं परित्तीकरति एवं दीहीकरति हस्सीकरेंति एवं अणुपरियति वीइवयंति, पसत्था चत्तारि अप्पसत्था चत्तारि ।७३। सत्तमे णं भंते! ओवासंतरे किं गुरुए लहुए गुरुयलहुए अगुरुयलहुए?, गोयमा ! नो गुरुए नो लहुए ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021005
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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