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सिया ?, हंता भावं! जमाणे कडे जाव निसिटेत्ति वत्तव्वं सिया, से तेणटेणं गोयमा !जे भियं मारेइ से मियवरेणं पुढे जे पुरिसं| भारेइ से पुरिसवेरणं पुढे, अंतो छण्हं मासाणं भरइ काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुढे, बाहिं छण्हं मासाणं भरइकाइयाए जाव पारियावणियाए चउहि किरियाहिं पुढे १६९ । पुरिसे भंते ! पुरिसं सत्तीए समभिधसेज्जा सयपाणिपणा वा से असिणा सीसं छिंदेजा तए णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ?, गोयमा ! जावं चणं से पुरिसे तं पुरिसं सत्तीए ( समभिधंसेइ ) सयपाणिणा वा से असिणा सीसं छिंदइ तावंचणं से पुरिसे काइयाए अहिंगरणि जावपाणाइवायकिरियाए पंचहि किरियाहिं पुढे, आसनवहएणयअणवखवत्तिएणं| पुरिसवेरेणं पुढे १७० । दो भंते ! पुरिसा सरिसया सरित्तया सरिब्बया सरिसभंडभत्तोवगरणा अन्नभन्नेणं सद्धि संगाभं संगामेन्ति, तत्थ गंएगे पुरिसे पराइणइ एगे पुरिसे पराइज्जइ, से कहभेयं भंते ! एवं?, गोयमा ! सवीरिए पराइइ अवीरिए पराइजइ, से केणटेणं जाव पराइज्जइ ?, गोयमा ! जस्सणं वीरियवज्जाइंकमाइंणो बद्धाई णो पढाइं जाव नो अभिसमनागयाइं नो उदित्राई उक्संताई भवंति से शिंपराइइ, जस्सणं वीरियवज्जाई कम्माइं बद्धाइं जाव उदिवाइंनो उक्संताई भवंति से णं पुरिसे पराइजइ, से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं
वुच्चइ सवीरिए पराइणइ अवीरिए पराइजइ १७१। जीवाणंभंते ! किं सवीरिया अवीरिया ?, गोयमा ! सवीरियावि अवीरियावि, से केणद्वेणं?, गोयमा ! जीवा दुविहा पं०० - संसारसभावनगा य असंसारसमावनगा य, तत्थ् णं जे ते असंसारसभावनगा य ते णं सिद्धा, सिद्धाअवीरिया, तत्थ णजे ते संसारसमावनगा ते दुविहा पं०० - सेलेसि पडिवनगा य असेलेसिपडिवत्रा य, तत्थ्णं श्रीभगवती सूत्रं ॥
पूसागरजी म. संशोधित
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