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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सिया ?, हंता भावं! जमाणे कडे जाव निसिटेत्ति वत्तव्वं सिया, से तेणटेणं गोयमा !जे भियं मारेइ से मियवरेणं पुढे जे पुरिसं| भारेइ से पुरिसवेरणं पुढे, अंतो छण्हं मासाणं भरइ काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुढे, बाहिं छण्हं मासाणं भरइकाइयाए जाव पारियावणियाए चउहि किरियाहिं पुढे १६९ । पुरिसे भंते ! पुरिसं सत्तीए समभिधसेज्जा सयपाणिपणा वा से असिणा सीसं छिंदेजा तए णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ?, गोयमा ! जावं चणं से पुरिसे तं पुरिसं सत्तीए ( समभिधंसेइ ) सयपाणिणा वा से असिणा सीसं छिंदइ तावंचणं से पुरिसे काइयाए अहिंगरणि जावपाणाइवायकिरियाए पंचहि किरियाहिं पुढे, आसनवहएणयअणवखवत्तिएणं| पुरिसवेरेणं पुढे १७० । दो भंते ! पुरिसा सरिसया सरित्तया सरिब्बया सरिसभंडभत्तोवगरणा अन्नभन्नेणं सद्धि संगाभं संगामेन्ति, तत्थ गंएगे पुरिसे पराइणइ एगे पुरिसे पराइज्जइ, से कहभेयं भंते ! एवं?, गोयमा ! सवीरिए पराइइ अवीरिए पराइजइ, से केणटेणं जाव पराइज्जइ ?, गोयमा ! जस्सणं वीरियवज्जाइंकमाइंणो बद्धाई णो पढाइं जाव नो अभिसमनागयाइं नो उदित्राई उक्संताई भवंति से शिंपराइइ, जस्सणं वीरियवज्जाई कम्माइं बद्धाइं जाव उदिवाइंनो उक्संताई भवंति से णं पुरिसे पराइजइ, से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ सवीरिए पराइणइ अवीरिए पराइजइ १७१। जीवाणंभंते ! किं सवीरिया अवीरिया ?, गोयमा ! सवीरियावि अवीरियावि, से केणद्वेणं?, गोयमा ! जीवा दुविहा पं०० - संसारसभावनगा य असंसारसमावनगा य, तत्थ् णं जे ते असंसारसभावनगा य ते णं सिद्धा, सिद्धाअवीरिया, तत्थ णजे ते संसारसमावनगा ते दुविहा पं०० - सेलेसि पडिवनगा य असेलेसिपडिवत्रा य, तत्थ्णं श्रीभगवती सूत्रं ॥ पूसागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021005
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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