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असंवुडे णं भंते! अणगारे बाहिरए योग्गले अपरियाइत्ता पभू एगवन्नं एगरुवं विउव्वित्तए ?, णो तिणद्वे समट्टे, असंवुडे गं भंते! | अणगारे बाहिरए पोग्यले परियाइत्ता पभू एगवन्नं एगरुवं जाव हंता पभू, से भंते! किं इहगए योग्गले परियाइत्ता विउव्वइ तत्थगए | पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति अत्रत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वइ ?, गोयमा ! इहगए पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वइ नो तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वइ नो अत्रत्थगए पोग्गले जाव विकुव्वति, एवं एगवन्त्रं अणेगरुवं चउभंगो जहा छट्ठसए नवमे उद्देसए तहा इहावि भाणियव्वं नवरं अणगारे इहगयं इहगए चेव पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वइ, सेसं तं चेव जाव लुक्खपोग्गलं निद्धपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ?, हंता पभू, से भंते! किं इहगए पोग्गले परियाइता जाव नो अन्नत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वइ ॥ २९८ ॥ णायमेयं । अरहया सुयमेयं अरहया वित्रायमेवं अरहया महासिलाकंटए संगामे २, महासिलाकंटए णं भंते! संगामे वट्टमाणे के जइत्था के पराजइत्था ?, गोयमा ! वज्जी विदेहपुत्ते जइत्था, नव मल्लई नव लेच्छई कासीको सलगा अट्ठारसवि गणरायाणो पराजइत्था, नए णं से कोणिए राया महासिला कंटकं संगामं उवद्वियं जाणित्ता कोडुंबियपुरि से सद्दावेइ ना एवं व्यासी खिप्पामेव भो देवाणुपिया ! उदाई हत्थिरायं पडिकप्पेह हयगयर हजोह कलियं चाअंगिणिं सेण्णं सन्नाहेह ता मम एयमाणत्तियं खिप्यामेव पच्चष्पिणह, तए णं ते कोडुंबियपुरिसा कोणिएणं रत्रा एवं वुत्ता समाणा हट्ठतु जाव अंजलिं कट्टु एवं सामी ! तहत्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुगंति त्ता खिम्यामेव छेयायरियोवएसमतिकम्पणाविकप्पेहिं सुनिउणेहिं एवं जहा उववाइए जाव भीमं संगामियं अउज्झं उदाई हत्थिरायं
॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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