SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 218
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पासित्तए जेणं नो पभू देवलोगं गमित्तए जेणं नो पभू देवलोगगयाई रूवाई पासित्तए एसणं गोयमा! पभूवि पकामनिकरणं वेदणं|| वेदेति। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति ॥ ! २९१॥श०७ ३०७॥ छउमत्थे णं भंते! मणूसे तीयमणतं सासयं समयं केवलेणं संजमेणं एवं जहा पढभसए चउत्थे उद्देसए तहा भाणियव्वं जाव अलमत्थु ॥२९॥से णूणं भंते! हथिस्सयकुंथुस्सयसमे चेव जीवे?, हंता गोयमा! हथिस्सय कुंथुस्सय०,एवं जहा रायप्पणइज्जे जाव खुडियं वा महालियं वा से तेणतुणंगोयमा! जावसमे चेव जीवे ॥२९३॥नेझ्याणं भंते! पावे कम्मे जे य कडे जे यकजइजे य कजिस्सइससे दुक्खे जे निजिन्ने से सुहे?, हंता गोयमा! नेइयाणं पावे कम्मे जाव सुहे,एवं जाव वेभाणियाणं ॥२९४॥ कति णं भंते! सनाओ पं०, गोयमा! दस सत्राओ पं० ० आहारसत्रा भयसन्ना मेहुणसत्रा परिग्गहसना कोहसना माणसना मायासना लोभसना लोगसना ओहसना, एवं जाव वेभाणियाणं, नेरइया दसविहं वेयणं पच्चणुभवमा विहरंति, तं०- सीयं उसिणं खुहं पिवासं कंडु परझं जरं दाहं भयं सोगं ॥ २९५॥से नूणं भंते! हस्थिस्स य कुंथुस्स य समा चेव अपच्चक्खाणकिरिया कजति?, हता गोयमा! हथिस्सय कुंथुस्स य जाव कजति, से केण्टेणं भते! एवं वुच्चइ जाव कजइ?, गोयमा! अविरतिं पडुच्च्, से तेण्टेणं जाव कजइ ॥२९६॥ आहाकम्भण्णं भंते! भुंजमाणे किं बंध किं पकरे किं चिणाइ किं उवचिणाइ?, एवं जहा पढमे सए नवमे उद्देसए तहा भाणियलं जाव सासए पंडिए पंडियत्तं असासयी सेवं भंते! सेवं भंते! ति॥ २९७॥ श०७३०८॥ ॥ श्रीभगवती सूत्र ॥ २०७| | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021005
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy