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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उठाणेणवि कमेणवि बलेणवि वीरिएणवि पुरुसकारपरकोणवि अन्यराई विपुलाई भोगभागाइं भुंजमाणे विहरित्तए, तम्हा भोगी|| भोगे परिच्चयमाणे महानिजरे महापज्जवसाणे भवइ, आहोहिए णं भंते! मणुस्से जे भविए अत्रयरेसु देवलोएसु एवं चेव जहा छउमत्थे जाव महापज्जवसाणे भवति, परमाहोहिए णं भंते! मणुस्से जे भविए तेणेव भवगहणेणं सिज्झित्तए जाव अंतं करेत्तए से नूणं भंते! से खीणभोगी सेसं जहा छउमत्थस्स, केवली णं भंते! मणुस्से जे भविए तेणेव भवगहणेणं एवं जहा परमाहोहिए जाव महापज्जवसाणे भवइ॥ २९०॥ जे इमे भंते! असन्निणो पाणा तं०-पुढवीकाइया जाव वणस्सइकाइया छटा य एगतिया तसा, एए णं अंधा भूढा बभपविद्धा तमपडलमोहजालपडिच्छणा अकामनिकरणं वेदणं वेदंतीति वत्तव्वं सिया?,हंता गोयमा! जे इभे असन्निणो पाया जाव पुढवीकाइया जाव वणस्सइकाइया छठ्ठाय जाव वेदणं वेदेंतीति वत्तव्वं सिया, अस्थि णं भंते! पभूवि अकामनिकरण वेदणं वेदंति? हंता गोयमा! अस्थि, कहनं भंते! ५भूवि अकामनिकरणं वेदणं वेदेति?, गोयमा! जे णं णो पभू विणा दीवेणं अंधकारंसि रुवाई पासित्तए जेणं नो पभू पुरुओ रूवाइं अणिज्झाइत्ताणं पासित्तए जेणं नो पभू भगओ रूवाई अणवयक्खित्ताणं पासित्तए जे णं नो पभूपासओ रुवाई अणालोइत्ताणं पासित्तए जेणं नो पभू उर्दु रुवाइं अणालोएत्ताणं पासित्तए जेणं नो पभू अहे रूवाई अणालोयएत्ताणं पासित्तए एस णं गोयमा! पभूवि अकामनिकरणं वेदणं वेदेति, अस्थि णं भंते! पभूवि पकामनिकरणं वेदणं वेदेति?, हंता अस्थि, कहनं भंते! पभूविपकामनिकरणं वेदणं वेदेति?, गोयमा! जेणं नोपभू समुदस्स पारं गभित्तए जेणं नो पभू समुदस्स पारगयाई रुवाई ॥श्रीभगवती सूत्र पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021005
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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