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तिविहंतिविहेणं संजयविश्यपडिहयपच्चक्खायपावकम्मे अकिरिए संवुडे एगंतपंडिए यावि भवति, से तेणटेणं गोयमा! एवं वुच्चड़। जाव सिय दुपच्चक्खायं भवति ॥२७०॥ कतिविहे णं भते! पच्चक्खाणे ५०?, गोयमा! दुविहे पच्चक्खाणे ५००-भूलगुणपच्चक्खाणे य उत्तगुणपच्चक्खाणे य, मूलगुणपच्चक्खाणे णं भंते! कतिविहे पं०?, गोयमा! दुविहे पं० २०-सब्वभूलगुणपच्चक्खाणे य देसमूलगुणपच्चक्खाणे य, सब्बभूलगुणपच्चक्खाणे णं भंते! कतिविहे पं०?, गोयमा! पंचविहे पं० २० -सव्वाओ पाणाइवायाओ वेरभणं जाव सव्वाओ परिगहाओ वेरभणं, देसमूलगुणपच्चक्खाणे णं भंते! कइविहे पं०?, गोयमा पंचविहे पं० २०-थूलाओ पाणाइवायाओ वेरमणं जाव थूलाओ परिग्गहाओ वेरमणं, उत्तरगुणपच्चक्खाणे णं भंते! कतिविहे पं०?, गोयमा! दुविहे पं० २०सव्युत्तरगुणपच्चक्खाणे य देसुत्तरगुणपच्चखाणे य, सव्वुत्तरगुणपच्चरखाणे णं भते! कतिविहे पं०?, गोयमा! दसविहे ५००अणागयभइक्कंत कोडीसहियं नियंटियं चेवा सागारमणागारं परिभाणकडं निरवसेसं ॥५४॥ साकेयं चेव अद्धाए पच्चस्खाणं भवे दसहा।देसुत्तरगुणपच्चक्खाणे णं भंते! कइविहे ५०?, गोयमा! सत्तविहे ५० तं०-दिसिव्वयं उवभोगपरीभोगपरिमाणं अनत्थदंडवेरभणं समाइयं देसावगासियं पोसहोववासो अतिहिसंविभागो अपच्छिम्मारणंतियसलेहणाझूसाऽऽराहणता ॥ २७१॥ जीवा गं भंते! किं મૂનગુણાચવવાની સત્તાયુગષ્યવસ્થાની પ્રવાળી?, ગોયમ! નીવા મૂનાગચવરઘાણીવિ ૩ત્તરગુપચવવાણીવિ अपच्चक्खाणीवि, नेरइया गंभंते! किं भूलणगुणपच्चक्खाणी० पुच्छा, गोयमा! नेरइया नो मूलगुणपच्चक्खाणी नो उत्तरगुणपच्चक्खाणी// ॥ ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥
५. सागरजी म. संशोधित
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