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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassa garsuri Gyanmandir तं पलिओवभे? से किं तं सागरोवमे?, सत्येण सुतिक्खेणवि छेत्तुं भेत्तुंच जंकिर न सकारातं परमाणु सिद्धावयंति आदि पमाणाणं ॥४९॥ अणंताणं परमाणुपोग्गलाणं समुदयसमितिसमागमेणं सा एगा उस्साहसण्हियाति वा सहसण्हियाति वा उड्ढरेणूति वा! तसरेणूति वा रहरेणूति वा वालग्गेइ वा लिक्खाति वा जूयाति वा जवमझेति वा अंगुलेति वा, अढ उस्साहसण्हियाओ सा एगा सण्हसहिया अट्ठ सहसण्हियाओ सा एा उड्ढरेणू अट्ठ उडरेणूओ सा एगा तसरेणू अट्ठ तसरेणूओ सा एगारहरे) अद्ध रहरेणुओ से एगे देवकुरु उत्तरकुरुगाणं मसूसाणं वालग्गे एवं हरिवासरमगहेमवएरन्नवयाणं० पुचविदेहाणं मसूसाणं अट वालग्गा सा एगा लिक्खा अ लिक्खाओ सा ए॥ जूया अट्ठ जूयाओ से एगे जवमझे अट्ठ जवमझाओ से एगे अंगुले, एएणं अंगुलपमाणेणं छ| अंगुलाणि पादो बारस अंगुलाई विहत्थी चउच्चीसं अंगुलाई रयणी अडयालीसं अंगुलाई कुच्छी छन्नउती अंगुलाणि से एगे दंडेति वा धणूति वा जूएति वा नालियाति वा अक्खेति वा मुसलेति वा, एएणं घणुप्पमाणेणं दो घणुसहस्साई गाउयं चत्तारि गाउयाई जोयणं, एएणंजोयणप्यमाणेणं जे पल्ले जोयणंआयामविक्खंभेणंजोयणंउटुंउच्चत्तेणं तंतिउणसविसेसं परिरएणं सेणंएगाहियबेयाहियतेयाहिय उकोसं सत्तरत्तप्यरूढाणं संभटे संनिचिए भरिए वालग्गकोडीणं, से णं वालग्गे नो अग्गी दहेजा नो वाऊ हरेजा नो कुत्थेजा नो परिविद्धंसेजा नो पूतिनाए हव्वमागच्छेजा, ततो णं वाससए २ एगमेगं वालागं अवहाय जावतिए कालेणं से पल्ले खीणे नीरए निम्मले निद्विए निलेवे अवहडे विसुद्धे भवति से तं पलिओवमे, एएसिं पालाणं कोडाकोडी हवेज दसगणिया। तं सागरोवमस्स / |॥ श्रीभगवनी सूत्रं ॥ | पू. सागरजी म. संशोपित For Private And Personal Use Only
SR No.021005
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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