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भंडे उवणीए तहा नेयव्वं चउत्थो आलावगो, धणे से उवणीए सिया जहा पढमो आलावगो, भंडे य से अणुवणीए सिया तहा नेयचो, पढमचउत्थाणं एक्को गमो बितीयतईयाणं एक्को गमो, अगणिकाए ण भंते! अहुणो( प्र०अणु जलिते समाणे महाकम्मतराए चेव महाकिरियतराए चेव महासवतराए चेव महावेदणतराए चेव भवति, अहे समए २ वोक्कसिजमाणे २ चरिमकालसमयंसिइंगालभूए मुम्भुरभूते छारियभूए तओ पच्छ। अय्यकम्मतराए चेव अपकिरियतराए चेव अप्पासवतराए चेव भवति ?, हंता गोयमा! अगणिकाए
णं अणुजलिए समाणे तं चेवो२०४। पुरिसे णं भंते ! घणुं परामुसइ त्ता उसुं पराभुसइ त्ता ठाणं ठाइ त्ता आयतकण्णाययं उसुं करेति |त्ता उड्ढं वेहासं उसुंउविहइत्ता ततोणं से उसुंउड्ढं वेहासंउविहिए समाणे जाइंतत्त पाणाई भूयाइंजीवाई सत्ताई अभिहणवत्तेति लेस्सेति संघाएइ संघद्देति परितावेई किलाभेइ ठरणाओ ठाणं संकामेइ जीवियाओ ववरोवेइ तए णं भंते! से पुरिसे कतिकिरिए ?, गोयमा ! जावं चणं से पुरिसे धणुं परासमुइ जाव चिहइ तावंचणं से पुरिसे कातियाए जावपाणातिवायकिरियाए पंचहिकिरियाहिं पुढे, जेसिपि य णं जीवाणं सरीरेहिं पण निव्वत्तिए तेऽविय णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुठ्ठा, एवं धणुपुढे पंचहिं| किरियाहिं, जीवा पंचहि, हारू पंचहिं, उसू पंचहि, सरे पत्तणे फले पहारू पंचहिं २०५१ अहे णं से उसुं अपणो गुरुयत्ताए भारियत्ताए गुरुसंभारियत्ताए अहे वीससाए पच्चोवयमाणे जाई तत्थं पाणाई जाव जीवियाओ ववरोवेइ तावं चणं से पुरिसे कतिकिरिए?, गोयमा! जावं चणं से उसू अपणो गुरूययाए जाव ववरोवेइ तावं चणं से परिसे काइयाए जाव चर्हि किरियाहिं पुढे, जेसिंपियणं ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥
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५. सागरजी म. संशोधित
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