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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जावाण सरीरहि घण निनामा नवजीवा हि किरियाहिं, पुटुं च हिं, जीवा चउहिं हारू चाहिं, उसू पंचहि, सरे पत्तणे फले हारू पंचहि, जेविय से जीवा अहे पच्चोवयमाणस्स उवगहे चिट्ठति तेऽविय णं जीवा कातियाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा १२०६। अण्णउत्थिया णं भंते ! एवभातिक्खंति जाव परूवेति से जहानाभए जुवतिं जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेण्हेना चक्कस्स व नाभी अगाउत्ता सिया एवामेव जाव चत्तारि पंच जोयणसयाई बहुसमाइन्ने मणुयलोए मणुस्सेहिं, से कहमेयं भंते एवं ? गोयमा! जाणं ते अण्णउत्थिया जाव भणुस्सेहिं जे ते एवभाहंसु मिच्छा० अहं पुण गोयमा! एवमातिक्खामि जाव एवामेव चत्तारि पंच जोयणसयाई| बहसमावण्णे निरयलोए नेरइएहिं २०७। नेरइया णं भंते! किं एगत्तं पभू विधिवत्तए? पुहत्तं ५भू विउवित्तए ?, जहा जीवाभिगमे आलावगो तहा नेयव्वो जावदुरहियासे २०८ आहाकम् अणवज्जेत्ति मणं पहारेत्ता भवति, सेणं तस्स ठाणस्सअणालोइयपडिकते कालं करेइ नत्थि तस्स आराहणा, सेणं तस्स ठाणस्स आलोइयपडिक्वंते कालं करे३ अस्थि तस्स आराहणा, एएणं गमेणं नेयवं कीयगडं ठवियंरइयं कंतारभत्तं दुब्भिक्खभत्तं वदलियाभत्तं गिलाणभत्तं सेजायरपिंडं रायपिंडं, आहाकम् अणवजेत्ति बहुजणभजे भासित्ता सयमेव परिभुंजित्ता भवति से णं तस्स गणस्स जाव अस्थि तस्स आराहणा, एयंपि तह चेव जाव रायपिंडं, आहाकम्म अणवजेत्ति० सयं अन्नमन्नस्स अणुप्पदावेत्ता भवति, सेणं तस्स एवं तह चेव जाव रायपिंडं, आहाकणं अणजेत्ति बहुजमझे पनवतित्ता भवति से णं तस्स जाव अस्थि आराहणा जाव रायपिंडी२०११ आयरियउवज्झाए णं भंते ! सविसयंसि गणं अगिलाए ॥ ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021005
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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