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विकुव्वति अायी विकुव्वति?, गोयमा! मायी विकुन्वति नो अमायी विकुव्वति, माई णं भते! तस्स ठाणस्स अणोलोइयपडिकते। कालं करेइ कहिं उववजति?, गोयमा! अन्नयरेसु आभियोगेसुदेवलोगेसु देवत्ताए उववजय, अभाई णं तस्स ठाणस आलोइयपडिक्कते || कालं करेइ कहिं उववजति?, गोयमा! अन्नयरेसु अगाभिओगेसु देवलोगेसु देवत्ताए उववजय, सेवं भंतेरन्ति, 'इत्थी असी पडा। जण्णोवइए य होइ बोद्धव्वे । पल्हत्थिय पलियंके अभिओगि विकुव्वा माई ॥ २६ ॥१६० ॥२० ३३० ५ ॥
अणगारे णं भंते! भावियथ्या माई मिच्छट्टिी वीरियलद्धीए वेब्वियलद्धीए विभंगनाणलद्धीए वाणारसिं नगरि समोहए समोहणिता रायगिहे नगरे रूवाई जाणति पासति?, हंता जाणइपासइ, से भंते! किं तहाभाव जाण०५० अन्नहाभावं जा०पा०?, गोयमा! णो तहाभावं जाण०५० अण्णहाभावं जा०५।०, सेकेणद्वेणं भंते! एवं वुच्चइ नो तहाभावं जा०पा० अनहाभावं जाण० ५०?, गोयमा! तस्स णं एवं भवति एवं खलु अहं रायगिहे नगरे समोहए सभोहणित्ता वाणारसीए नगरीए रूवाई जाणामि पासामि, से से दंसणे विवच्चासे भवति, से तेणद्वेणं जाव पासति, अणगारे णं भंते! भावियप्या भाई मिच्छदिट्ठी जाव रायगिहे नगरे समोहए समोहणित्ता वाणारसीए नगरीए रूवाई जाणइ पासइ?, हंता जाणइपासइ, तं चेव जाव तस्स णं एवं होइ एवं खलु अहं वाणारसीए नगरीए समोहए त्ता रायगिहे गरे रूवाई जाणाभि पासाभि, से से दंसणे विवच्चासे भवति, से तेणटेणं जावअनहाभावं जाणड़ पासइ, अणगारे णं | भंते! भावियप्या माई मिच्छदिट्ठी वीरियलद्धीए देउवियलद्धीए विभंगाणलद्धीए वाणारसिं नगरि रायगिहं च नगरं अंतरा एगं महं ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
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