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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - अनुयोगद्वारसूत्रे मूलम्-से किं तं तद्धितए ?, तद्धितए अट्टविहे पण्णत्ते, तं जहा-कम्मे सिप्पसिलोए, संजोगसमीवओ य संजूहो। इस्सरिय अवच्चेण य, तद्धितणामंतु अट्टविहं ॥१॥से कि तं कम्मणामे ? कम्मणामे-तण्णहारिए, कट्टहारिए, पत्नहारिए, दोसिए, सोत्तिए, कप्पासिए, भंडवेआलिए कोलालिए । से तं कम्मनामे। से किं तं सिप्पनामे?, सिप्पनामे-तुण्णिए तंतुवाइए पट्टकारिए उव्वट्टिए बरुडिए मंजकारिए कट्टकारिए छत्तकारिए वज्झकारिए पोत्थकारिए चित्तकारिए दंतकारिए लेप्पकारिए सेलकारिए कोट्टिमकारिए । से तं सिप्पनामे। से कि तं सिलोयनामे ? सिलोयनामे-समणे माहणे सत्वातिही। से तं सिलोयनामे। से किं तं संजोगनामे ? संजोगनामे-रणो ससुरए रणो जामाउए रणो साले रपणो भाउए रणो भगिणीवई। से तं संजोगनामे। से किं तं समीवनामे ?, समीक्नामे-गिरिसमीवे गयरं-गेरं गिरिणयरं विदिसासमीवेणयरं-वेदिसं, वेन्नाए समीवे णयरं-वेन्नं वेन्नायडं तगराए समीवे णयरं-तागरं तगरायडं। से तं समीवनामे। से किं तं संजूहनामे?, संजहनामतरंगवइकारे, मलयवइकारे, अत्ताणुसहिकारे बिंदुकारे। से तं संजूहनामे। से किं तं ईसरियनामे-रायए ईसरए तलवरए माडंबिए कोडंबिए इन्भे सेटिए सत्थवाहए सेणावइए ! से तं ईसरियनामे। से किं तं अवच्चनामे ? अवच्चनामे-अरिहंतमाया For Private And Personal Use Only
SR No.020967
Book TitleAnuyogdwar Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages928
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size21 MB
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