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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र २४१ क्षेत्रसमवतारादीनां निरूपणम् ७२१ माह-स एष कालसमवतार इति। अथ भावसमवतारं निरूपयति । तत्र-अथ कोऽसौ भावसमवतारः ? इति शिष्यप्रश्नः। उत्तरयति-भावसमवतार:-भावस्यक्रोधादेः समवतारः आत्मसमवतारस्तदुभयसमवतारश्चेति द्विविधः प्रज्ञप्तः । तत्र -क्रोध आत्मसमवतारेण आत्मभावे समवतरति, तदुभयसमवतारेण-माने समयतरति आत्मभावे च । तथा-मानम् आत्मसमवतारेण आत्मभावे समवतरति, तदुरहता है । (तीतद्धा अणागतद्धाउ आयसमायारेण आयभावे समोय. रति, तदुभयसमायारेणं सव्वद्धाए समोयरति आयभावे य) अतीत काल और अनागत काल ये आत्मसमवतार की अपेक्षा आत्मभाव में रहते हैं, तथा उभय समवतार की अपेक्षा सर्वाद्धा काल में रहते हैं और आत्मभाव में भी रहते हैं। (से तं कालसमोयारे) इस प्रकार यह काल समवतार का विचार है । (से कि त भावसमोयारे) हे भद्त ! भाव समवतार क्या है ? (भावसमोयारे) क्रोधादिकषायों का जो समवतार है, वह भाव समवतार है। यह भाव समवतार (दुविहे पण्णत्ते) दो प्रकार का कहा है । (तं जहा) जैसे-(आयसमो. यारे तदुभयसमोयारे) आत्मसमवतार और तदुभय समवतार ! ( कोहे आयसमोयारेणं आयभावे समोयरह, तदुभयसमोयारेणमाणे समोयरइ, आयभावे य) क्रोध आत्मसमवार की अपेक्षा आत्मभाव में-निज में रहता है तथा उभय समवतार की अपेक्षा (तीतद्धा अणागतद्धाउ आयसमोयारेण आयभावे समोयर ति, तदुभयसमोयारेणं सव्वद्धाए समोयरंति आयभावे य) मतीत मन मनोगत से । આત્મસમવતારની અપેક્ષા આમભાવમાં રહે છે, તેમજ ઉભય સમવતારની अपेक्षा सद्धि। मां २ छे, मने मामलामा ५५ २७ छ (से त कालसमोयारे) 21 प्रमाणे या ४ सभवताना पिया२ छे. (से कि त भावसमोयारे) : महत ! भा१ सभपता२ शुछ १ (भावसमोशरे) urla पायान २ सभवता२ छ, ते मावसभरतार छ, मा मावसभवता२ (दुविहे पण्णत्ते) में प्रारना अपामा मावस छे. (जहा) र (आयसमोयारे तदुभयसमोयारे) मामसभवता२ भने तहुमय समयता२ (कोहे आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेण माणे, समोयरइ, आयभावे य) ५ આત્મસમવતારની અપેક્ષા, આત્મભાવમાં-નિજમાં-રહે છે, તેમજ ઉભય For Private And Personal Use Only
SR No.020967
Book TitleAnuyogdwar Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages928
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size21 MB
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