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मनुयोगद्वारसूत्रे समयवक्तव्यता सा परसमयं प्रविष्टावक्तव्यताया द्वितीये भेदेऽन्तर्भूता। इत्थं चैतनयमते तृतीया वक्तव्यता नास्ति, तस्मादेतन्नयमते द्विविधा वक्तव्यता बोध्येति। तथा-त्रयः शब्दनथाः शब्दसमभिरुदैवंभूताख्या विशुद्धतमत्वा देकां स्वसमयवक्तव्यतामेवेच्छन्ति। एषां मते परसमयवक्तव्यता नास्ति । कस्मात् परसमयवक्तव्यता नास्ति ? इत्याह-यस्मात् परसमयः अनर्थः, पर समयस्यानर्थत्वं तु 'नास्त्येवात्मा' इत्यनर्थप्रतिपादनपरस्यात् । आत्मनो नास्तिस्वस्यानयत्वं च आत्मनोऽभावे तत्मतिषेयानु पत्तेः । उक्तंचसे स्वसमय वक्तव्यता के प्रथम भेद में अन्तर्भूत हो जाती है और (जा सा परसमयम्वत्तया सा परसमयं पविट्ठा) जो परसमयवक्तव्यता है वह वक्तव्यता के द्वितीय भेद में अन्तर्भूत हो जाती है । (तम्हा. दुविहा वत्तव्वया, नस्थि तिविहा वत्तव्वया) इसलिये वक्तव्यता दो प्रकार की है, तीन प्रकार की नहीं है । (तिणि सहणया एगं ससमयचत्तव्वयं इच्छति) शब्द, समभिरूढ एवंभून ये जो तीन शब्दनय हैं, वे विशुद्ध मतवाले होने के कारण एक स्वसमय वक्तव्यता को ही मान्य रखते है, इनके मतमें परसमयवक्तव्यता नहीं हैं। (जम्हा) क्योंकि (परसमए अणढे, अहेऊ, असम्भावे, अकिरिए, उम्मग्गे, अणुवए से, मिच्छादसणमिति कटु-तम्हा, सम्वा ससमयवत्तव्वया, णस्थि परसमयवत्तव्धया, णस्थि ससमयपरसमयवत्तव्वया) परसमय 'नास्त्येवात्मा' आत्मा नहीं है । इत्यादिरूप से अनर्थ के प्रतिपादन में तत्पर होने के कारण अनर्थस्वरूप है । आत्मा के नास्तित्व का प्रतिपादन
સમય પરસમય વકતવ્યતા છે, તેમાંથી સ્વસમય વકતવ્યતા, વક્તવ્યતાના प्रथमहमा मन्तभूत थ य मने (जा परसमयवत्तव्वया सा परसमयं पविट्टा) જે પરસમય વકતવ્યતા છે, તે વકતવ્યતાના બીજા ભેદમાં અન્તભૂત થઈ onय छे. (तम्हा दुविहा वत्तव्वया, नत्थि तिविहा वत्तव्वया) मेरा माटे १४त. व्यता में प्र.२नी छ, त्र प्रा२नी नथी. (सिण्णि सहणया एगं ससमयवत्तव्यय इच्छति' श७४, समलि३८ भूत मे त्रय ४५६ नया छ, ते विशुद्ध મતવાળા હોવાથી એકQસમય વકતવ્યતાને જ માન્ય રાખે છે. એમના મત भु ५२समय १०यता नथी. (जम्हा) भ (परसमए अणट्टे, अहेऊ, अस भावे, अकिरिए, उम्मग्गे, अणुवएसे, मिच्छादसण मितिकट्ठ-तम्हा, सव्व ससमयवत्तव्वया, णत्थि परसमयवत्तव्यया, णत्थि ससमयपरसमयवत्तव्वया) ५२समय नास्त्येवात्मा' मामा नथी, त्यात ३५थी अनथना प्रतिपाइनमा તત્પર હવા બદલ અનર્થસ્વરૂપ છે. આત્માના નાસ્તિત્વનું પ્રતિપાદન કરવું
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