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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -- - अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र २२९ प्रदेशदृष्टान्तेन नयप्रमाणम् ५८९ कम्हा? जइ जहा पंचण्हं गोटियाणं पुरिसाणं केइ दव्वजाए सामण्णे भवइ, तं जहा-हिरणे वा सुवण्णे वा धणे वा धण्णे वा, तं न ते जुत्तं वत्तुं जहा पंचण्हं पएलो, तं मा भणिहिपंचण्हं पएसो, भणाहि-पंचविहो पएसो, तं जहा-धम्मपएसो अधम्मपएसो आगासपएसो जीवपएसो खंधपएसो। एवं वयंतं ववहारं उज्जुसुओभणइ-जं भणसि-पंचविहो पएसो, तेन भवइ, कम्हा ? जइ ते पंचविहो पएसो, एवं ते एकेको पएसो पंचविहो, एवं ते पणवीसइविहो पएसो भवइ, तं मा भणहि-पंचविहो पएसो, भणाहि-भइयवोपएसो-सियधम्मपएसोसिय अधम्मपएसो सिय आगासपएसो सिय जीवपषसो सिय खंधपएसो। एवं वयंतं उज्जुसुयं संपइ सदनओ भणइ-जं भणसि भइयव्यो पएसो, तं न भवइ,कम्हा? जइ भइयवो पएसो, एवं ते धम्मपएसोऽविसिय धम्मपएसोसिय अधम्मोपएसोसिय आगासपएसो सिय जीवपएसोसिय खंधपएसो, अधम्मपएसोऽवि-सिय धम्मपएसो जाव सिय खंध पएसो, आगासपएसोवि-सिय धम्म. पएसो जाव सिय खंधपएसो, जीवपएसोऽवि-सिय धम्मपएसो जाव सिय खंधपएसो, खंधपएसोऽवि-सिय धम्मपएसो जाव सिय खंधपएसो, एवं ते अगवस्था भविस्सइ, तं मा भणाहिभइयवो पएसो, भणाहि-धम्मे पएसे धम्मे, अहम्मे पएसे से पएसे अहम्मे, आगासे पएसे से पएसे आगासे, जीवे पएसे से पएसे नो जीवे, खंधे पएसे से पएसे नो खंधे। एवं For Private And Personal Use Only
SR No.020967
Book TitleAnuyogdwar Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages928
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size21 MB
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