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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुयोगद्वारसूत्रे मदिराम् आस्वादनेन, वस्त्रं स्पर्शेन । तदेतद् गुणेन । अथ किं तत् अवयवेन ? अवयवेन-महिषं शृङ्गेण कुक्कुटं शिखया, हस्तिनं विषाणेन, वराहं दंष्ट्रया, मयूरं पिच्छेन, अश्वं खुरेण, व्याघ्र नखेन, चमरों वालाग्रेग, वानरं लागृलेन, द्विपदं मनुष्यादि, चतुष्पदं गावादिकं, बहुपदं गोमिकादि, सिंहकेशरेण, वृषभं ककुदा, महिला बळयबाहुना। मान क्या है ? (गुगेणं) गुगलिङ्ग जन्य शेषवत् अनुमान इस प्रकार से है-(सुवणं निकसेणं पुष्कं गंधेणं, लवणं रसेणं महरं आसाइएणं, वत्थं फासेणं सेतं गुणे) निकष-कसौटी पर घिसने पर उछरी हुई रेखा से सोने का अनुमान करना गंध से पुष्प का अनुमान करना, रस से नमक का अनुमान करना, आस्वाद से मदिरा का अनुमान करना स्पर्श से वस्त्र का अनुमान करना, ये सब गुणनिष्पन्न शेषवत् अनुमान हैं। (से किं तं अवयवेणं) हे भदन्त ! अवयवरूप लिङ्ग से निष्पन्न शेषवत् अनुमान क्या है ? (अवयवेणं) अवयवरूप लिङ्ग से निष्पन्न शेषवत् अनुमान इस प्रकार से है-(महिसं सिंगेणं कुक्कुडं सिहाए, हत्धि विसाणेणं, वसह दाढाए मोरं पिच्छेणं, आसं खुरेणं, वग्धं नहेणं, चमरिं वालग्गेणं, वाणरं लंगूलेणं दुपयं मणुस्सादि चउप्पय गवयादि, बहुप्पयं गोमियादि, सीहं केसरेणं, वसहं ककुरण महिलां वलयबाहाए) शृंग से महिष को, शिखा से कुक्कुट को, विषाण से हाथी को, दंष्ट्रा से वराह को, पिच्छ से લિંગ જન્ય શેષવતુ અનુમાન શું છે? (કુળન) ગુણલિંગ જન્યશેષવત્ અનુમાન मा प्रमाणे छ. (सुण्ण निकसेणं पुष्फ गंधेणं लवणं रसेणं मइरं आसायएणं वत्थं फासेणं, से तगुणेणं) निष-सोटी-५२ घसाथी सेोटी ५२ थयेटी श्याએથી સોનાનું અનુમાન કરવું, ગધથી પુષ્યનું અનુમાન કરવું, રસથી લવણનું અનુમાન કરવું, આસ્વાદથી મદિરાનું અનુમાન કરવું, સ્પર્શથી વસ્ત્રનું अनुमान ४२, मा मयां शुष्यनिरूपन्न शेषवत अनुमान छे. (से कित अवयवेणं) ! अ१य१३५ विजयी नि०पन्न शेषवत् अनुमान छे. (अवयवेणं) अ१य१ ३५ लिथी नि०५ शेषवत अनुमान मा प्रभारी छे. (महिसं सिंगेणं कुक्कुडं सिहाए, हत्थि विसाणेणं, वराह दाढाए मोरं पिच्छेण यासं खुरेण, वग्धं नहेणं, चमरिं वालग्गेणं, वाणरं लंगूलेण, दुपयं मणुस्सादि चउ. पयं गवयादि, बहुप्पयं गोमियादि, सीह केसरेणं, वसई ककुरण महिलां वलय पाहाए) श्रृगयी मलिष, शिमाथी १३४८नु, विषायी साथीनु हाथी For Private And Personal Use Only
SR No.020967
Book TitleAnuyogdwar Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages928
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size21 MB
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