SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 49
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुयोगद्वारसूत्रे भावसंजोगे ? भावसंजोगे-दविहे पण्णते, तं जहा-पसत्थे य अपसत्थे य। से किं तं पसत्थे पसत्थे-नाणेणं नाणी दंसणं दसणी, चरित्तेणं चरित्ती। सेतं पसथे। ले कि तं अपसत्थे ? अपसत्थे-कोहेणं कोही, माणेणं मागी,माधाए लायी, लोहेणं लोही। से तं अपसत्थे।से तं भावसंजोगे। ते तं संजोगेणं ॥सू० १८१॥ छाया-अथ किं तत् संयोगेन ? संयोगः चतुर्विध प्रज्ञप्तः, तद्यथा-द्रव्यसंयोगः, क्षेत्रसंयोगः, कालसंयोगः, भावसंयोगः। अथ कोऽसौ द्रव्यप्रयोगः ? व्यसंयोगः त्रिविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-सचितः अचित्तो मिश्रः। अथ कोऽसौ सचितः? सचित्त: "से किं तं संजोगेणं' इत्यादि । शब्दार्थ-(से किं तं संजोगेणं ) हे भदन्त ! जो नाम संयोग से निष्पन्न होता है वह कैसा है ? उत्तर-(संजोगे चउबिहे पण्णत्ते ) संयोग चार प्रकार का कहा गया है (तं जहा) वह इस प्रकार से है-(वसंजोगे खेत्तसंजोगे, कालसंजोगे, भावसंजोगे ) द्रव्य संयोग, क्षेत्र संयोग, कालसंयोग और भाव संयोग। (से किं तं व्यसंजोगे ?) हे भदन्त ! द्रव्यसंयोग से जो नाम निष्पन्न होता है वह कैसा होता है ? (दव संजोगे तिविहे पण्णत्ते) उत्तर-द्रव्य संयोग तीन प्रकार का होता है इसलिये इनके संयोग उत्पन्न नाम भी तीन प्रकार के होते हैं। (तं जहा) जैसे(सचित्ते अचित्ते मीसए) सचिस संयोग, अचित्त संयोग, मिश्र " से कि त संजोगेणं " त्या शहाथ-(से कि तं संजोगेण) मत ! २ नम सयोगयी निरूपन्न હોય છે તે કેવું છે? उत्तर-(संजोगे चउविहे पण्णत्त) सया या प्रा२ने। ४ामा माये छ. (त'जहा) ते 20 प्रमाणे छ. (दव्वसंजोगे खेत्तसंजोगे, कालसंजोगे, भावसंजोगे) द्र०यस यस क्षेत्रसयस, ससये, भने मासयोग. (से कि त दव्वसंजोगे ?) 8 मत! द्रव्यसये गयी नाम नि०५-1 थाय ते ७ डाय छे ? (दव्वसंजोगे तिविहे पण्णत्त). ઉત્તર-દ્રવ્ય સંગ ત્રણ પ્રક રને હોય છે. એથી એમના સંગ Fत्पन्न नामी ५९ ४२॥ हाय छे. (तंजहा) 243 (सचित्त अचित्ते For Private And Personal Use Only
SR No.020967
Book TitleAnuyogdwar Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages928
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy