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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ३६८ अनुयोगद्वारसूत्रे खलु भदन्त ! कतिविधानि प्रज्ञप्तानि ? गौतम ! द्विविधानि मज्ञप्तानि तद्यथारूप्य - जीवद्रव्याणि अरूप्यजीवद्रव्याणि च । अरूप्यजीवद्रव्याणि खलु भदन्त ! कतिविधानि प्रज्ञप्तानि ? गौतम ! दशविधानि प्रज्ञप्तानि तद्यथा - धर्मास्तिSarat feaster देशाः धर्मास्तिकायस्य प्रदेशाः, अधर्मास्तिकायोऽधर्मास्विकायस्प देशा अधर्मास्तिकायस्य प्रदेशाः, आकाशास्तिकाय आकाशास्तिकायस्य देशाः आकाशास्तिकायस्य प्रदेशाः अद्धामश्यः । रूप्पजीवद्रव्याणि खलु * Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (अजीव दव्वा णं) अजीव द्रव्य (भंते) हे भदन्त (कविहा) कितने प्रकार का ( पण्णत्ता) प्रज्ञप्त हुआ है । (गोगमा) है गौतम ! (दुविहा) दो प्रकार का (पण्णत्ता) प्रज्ञप्त हुआ है । (तं जहा) वे उसके प्रकार ये हैं(रुवी अजीव दव्वा य, अरूवी अजीब व्वाय) एक रूपी अजीवद्रव्य और दूसरा अरूपी अजीव द्रव्य । (अरुत्री अजीवदव्वा णं भंते कहविहा पण्णत्ता) अरूपी अजीव द्रव्य हे भदंत ! कितने प्रकार का कहा गया है ? (गोयमा) हे गौतम! (दसत्रिहा पण्णत्ता) दश प्रकार का कहा गया है । (तं जहा ) वे दश प्रकार ये हैं-- ( धम्मस्थिकाए, धम्मस्थिकायस्स देसा, धम्मस्थिकायस्त परसा) धर्मास्तिकाय १ धर्मास्तिकाय के देश २, धर्मास्तिकाय के प्रदेश ३, (अधम्मस्थिकाए, अधम्मस्थिकायस्स देखो, referature परसा) अधर्मास्तिकाय ४, अधर्मास्तिकाय के देश ५, अधर्मास्तिकाय के प्रदेश ६, ( आगासत्थिकाए, आगासत्थि कायस्ल देसा, आगासात्धिकायस्स परसा) आकाशास्तिकाय ७ आकाशास्तिकाय के देश ८, आकाशास्तिकाय के प्रदेश ९, (अद्धासमए) और (कविहा) उदया प्रहार (पण्णत्ता) प्रज्ञप्त थयेस छे (गोयमा !) हे गौतम! (विहा) से प्रहार (पण्णत्ता) अज्ञप्त थयेस छे (तंजा) ते प्रहारो भा प्रभा छे (रूवी अजीवदव्वा य, अरूत्री अजीवदव्वा य) मे ३ची लव व्याने श्री सधी अलव द्रव्य ( अरूवी अजीवदव्वा णं भंते ! कइविहा पण्णत्ता) ३थी अलव द्रव्य के लङ्घत ! वा अनुज्ञप्त थयेल छे ! ( गोयमा) हे गौतम | (zafazı qona1) 82 steg sŝali anoy' §. (à 1761) A CA પ્રકાશ या प्रमाणे छे. (घम्मत्थिकार धम्मत्थिकार देखा, धम्मस्थि कायम पसा) धर्मास्तिठाय १, धर्मास्तियना हेश २, धर्मास्ति अयना प्रदेश 3, (अधम्मत्थिकाए, अधम्मत्थिकायरस देखा अधम्मात्थिकायरस परसा) अष भस्तिकाय ४, अधर्मास्तिडायना देश य, अधर्मास्तियना प्रदेश ६, (भागासत्कार आगासत्थिकायस्स देसा, आगासत्थिकायस्स पएम्ना) भाशास्तिय ७, आमशास्तिद्वायना हेश ८, आमशास्तिहायना प्रदेश (, ( बद्धा समए) भने For Private And Personal Use Only
SR No.020967
Book TitleAnuyogdwar Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages928
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size21 MB
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