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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुयोगचन्द्रिका टीका सुत्र २०७ असुरकुमारादीनामायुःस्थितिनिरूपणम् ३२१ वर्षसहस्राणि। अपर्याप्तकसंमूछिमस्थल चरभुजपरिसर्पपञ्चन्द्रियतिर्यग्योनिकानां पृच्छा गौतम ! जधन्येनापि अन्तर्मुहूर्तम्, उत्कर्षणापि अन्तर्मुहूर्त्तम् । पर्याप्तकसंमूछिमस्थलचरभुजपरिसर्पपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन अन्तर्मुहूर्तम्, उत्कर्षेण द्विचत्वारिंशद् वर्षसहस्राणि अन्तर्मुहतोनानि । गर्भव्युत्क्रान्तिकभुजपरिसर्पस्थलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन अन्तर्मुहूर्तम्, उत्कर्षेण पूर्वकोटिः । अपर्याप्तकगर्भव्युत्क्रान्तिकभु नपरिसर्पस्थलचरपश्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येनापि अन्तर्मुहूर्त्तम्, उत्कर्षेणापि और उत्कृष्ट से भी अन्तर्मुहूर्त की है । (पज्जत्तग संभूच्छिम भुयपरिसप्पथयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा-गोयमा ! जहण्णेणं अंनो. मुहत्तं, उक्कोसेणं अतोमुहत्तुंगाई बायालीसं वाससहस्साई) पर्याप्तक! संमूच्छिम भुजपरिसर्पथल चर पंचेन्द्रियतिर्यश्चों की स्थिति हे गौतम जघन्य से तोअंतर्मुहर्त की है और उत्कृष्ट अन्तर्मुहर्त कम ४२ हजार वर्ष की है। (गम्भवक्कंतिय भुघपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिक्खजोणियाणं पुच्छा गोयमा ! जहानेणं अंतोमुखतं, उक्कोसेणं पुव्वकोड़ी) गर्भ जभुजपरिसर्पथलचर पंचेन्द्रियतिर्यश्चों की स्थिति हे गौतम ! जघन्य से तो एक अन्तर्मुहर्त की है और उत्कृष्ट से एक करोड पूर्व की है। ( अपज्जत्तगगम्भवक्कंतियभुयपरिसपाथलचरपंचिंदियतिरिख्खजोणिઅંતમુર્ત જેટલી છે અને ઉત્કૃષ્ટની અપેક્ષાએ પણ અંતર્મુદત્ત २८८ी छ. (पज्जत्तगसंमूलिछमभुयारिसप्पथलयरपंचि दियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा गोयमा ! जइण्णेणं अतोमुत्त उक्कोसेण अंतोमुहुत्तूणाई बायालीम वाससह. स्साई) पर्यास स भूमि परिस' २०५२ ५'यन्द्रिय तिय यानी સ્થિતિ હે ગૌતમ ! જઘન્યની અપેક્ષાએ તે અંતર્મુહૂર્તની છે અને ઉત્ક यी मतभुइत न्यून ४२ २ वर्ष २८बी छ. (गब्भवतियभुयपरिसप्पथलयरपंचिदियतिरिकखजोणियाणं पुच्छा गोयमा ! जहन्नेणं अतो. मुहुतं, उक्कोसेणं पुवकोडी) : परिस५ २०५२ ५'येन्द्रिय तिय यानी સ્થિતિ હે ગૌતમ! જઘ યની અપેક્ષાએ તે એક અંતર્મુહુર્ત જેટલી છે 47 8 अपेक्षा में से 3 पून छ. (अपज्जत्तागभवतिय अ० ४१ For Private And Personal Use Only
SR No.020967
Book TitleAnuyogdwar Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages928
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size21 MB
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