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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भनुयोगमा घलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा! जहणणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुवकोडी। अपज्जत्तगगन्भवतियभुयपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा! जहन्त्रेण वि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं । पजत्तगगब्भवतियभुयपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुक्कोडी अंतोमुहुतणा।खहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा,गोयमाजहनेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पलिओवमस्त असंखेज्जइभागं। संमु. च्छिमखहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा! जहनेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं बावत्तरि वाससहस्साइं। अपजसगसंमुच्छिमखहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेण वि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं। पजत्तगसंमुच्छिमखहयरपंचिंदियतिरिक्ख जोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नणं अंतोमहुत्तं उक्कोसेणं बावतरि वाससहस्साई अंतोमुहत्तूणाई। गब्भवक्कंतियखहयरपंचिदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेजइभागं। अपजत्तगगब्भवत्तियखहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहणणेण वि अंतोमुहत्तं उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। पजत्तगखहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा! जहम्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखिज्जइभागं For Private And Personal Use Only
SR No.020967
Book TitleAnuyogdwar Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages928
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size21 MB
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