SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 163
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - १४८ अनुयोगद्वारसूत्रे है। आठ लक्षणलक्षिणकाओं से एक उर्ध्वरेणु उत्पन्न होता है । (अट्ट. उडरेणुओ सा एगा तसरेणु ) आठ उर्ध्वरेणुओं से एक त्रसरेणु होता है। ( अट्ठतसरेणुओ सा एगा रहरेणू, अट्ठ रहरेणु भो देवकुरुउत्तर कुरूण मणुआणं से एगे बालग्गे) आठ नमरेणुओं से एक रथरेणु होता है। आठ रथरेणुओं से देवकुरु और उत्तरकुरू के मनुष्यों का वह एक बालाग्र होता है। (अट्ठदेवकुरु-उत्तरकुरूणं मणुपाणं बालग्गा हरिवासरम्मगवासाणं मणुयाणं से एगे वालग्गे) देवकुरुउत्तरकुरु के मनुष्यों के आठ घालानों से हरिवर्ष और रम्यकवर्ष के मनुष्यों का वह एक बालाग्र होता है । (अट्ठ हरिवामरम्मगवासाणं मणुस्साणं वालग्गा) हरिवर्ष और रम्पकवर्ष के मनुष्यों के आठ बालागों से (हेमवय हेरण्ण बयाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे ) हैमवत और हैरणवत क्षेत्र के मनुमनुष्यों का एक बालाग्र होता है । (अट्ट हेमवयहेरणवयाणं मणुस्साणं बालग्गापुव्वविदेह अवरविदेहाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे) हैमवत और हैरण्यवत के मनुष्यों के आठ बालानों का पूर्व विदेह और अपर विदेह के मनुष्यों का एक बालाग्र होता है। (अह पुत्वधिदेहअवरविदेहाणं मगुस्साणं वालग्गा भरह एरवयाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे) छ. मा २१६१२३क्षिामाथी से न थाय छे. (अटू उट्टरेणुओ सा एगा तसरेणु) मा रेमोथी ये 4 थाय छे. (अट्ठ तम्ररेणूओ सा एगा रइरेणू. अटुरह रेणूओ देवकुरु उत्तरकुरूणं मणुआणं से एगे बालग्गे) मा सरेशुमाथी से २थ। थाय छे. माठ २थमाथी तुव२ भने उत्तन मासेनु से माता थाय छे. (अटू देवकुरु उत्तरकुरूणं मणुयाणं बालगगा हरिवासरम्मगवासाणं मणु पाणं से एगे वालग्गे) १४२ ઉત્તરકુરુના માણસેના આઠ વાલાોથી હરિવર્ષ અને રમ્યક વર્ષના માણસનું पाय छ (अट्ट हरिवासरम्मगवाम्राणं मणुस्साणं वारगा) ६२१५ भने २भ्यवर्ष ना भएसोना 3 पोयी (हेमायहेरण्णवयाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे) डेभयत अने २९यक्त क्षेत्रना भासान मे थाय छे. (अढ हेमवयहेरण्णवयाणं मणुस्साणं बालग्गा पुत्रविदेह अवरविदेहाणं से एगे वालग्गे) भरत भने १२९य१तना भासेना मा पासोथी पूपावि भने ५५२विना माणसानु मे पास थाय छे. (अट्ठ पुव्वविदेहअवरविदेहाणं मणुस्साणं वालग्गा भरहएरवयाणं मणुस्साणं से एगे वालगे) वा अपविना भासोना मा3 पासानु १२त भने For Private And Personal Use Only
SR No.020967
Book TitleAnuyogdwar Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages928
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy