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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र १६५ स्वराणां ग्रामान मूर्च्छनांश्चनिरूपणम् ८०३ अथैषां स्वराणां ग्रामान् एकैकग्रामस्य मूछनाचाह मूलम्-एएसिं णं सत्तण्हं सराणं तओ गामा पण्णत्ता, तं. जहा-सज्जगामे मज्झिमगामे गंधारगामे। सज्जगामस्सणं सत्त मुच्छणाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-मंगीकोरवीया हरी य, रयणी य सारकंता य। छट्ठी य सारसी नाम, सुद्धसज्जा य सत्तमा॥१॥ मज्झिमगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-उत्सर मंदा रयणी, उत्तरा उत्तरा समा। समोकंता य सोवीरा, अभीर हवइ सत्तमा ॥२॥ गंधारगामस्सणं सत्त मुच्छणाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-नंदी य खुड्डिया पूरिमा य, चउत्थी य सुद्धगंधास। उत्तरगंधारा वि य, पंचमिया हवइ मुच्छा उ॥३॥ सुहत्तर मायामा, सा छट्ठी नियमसो उ णायवा। अह उत्तरायया कोडिमा य सा सत्तमी मुच्छा ॥४॥सू०१६५॥ ... छाया-एतेषां खलु सप्तानां स्वराणां त्रयो ग्रामा प्रजमाः, तप्रथा पडलमामा मध्यमग्रामः गान्धारग्रामः । षड्जग्रामस्य खलु सप्त मृच्छेनाः मातार, अब सूत्रकार इन स्वरों के ग्रामों को और एक एक ग्राम की मूच्छे. नाओं को कहते हैं-"एएसिं णं सत्तण्हं सराणं" इत्यादि। शब्दार्थ-(एएसि णं सत्तण्हं सराण) इन सातस्वरों के (तओ गामा पण्णत्ता) तीन ग्राम कहे गये हैं। (तं जहा) वे इसप्रकार हैं-(सज्जगामे, मझिमगामे गंधारगामे) १ षड्जग्राम, २, मध्यमग्राम, ३ गान्धारग्राम, । (सज्जगामस्स णं सत्तमुच्छणाओ पण्णत्ताओ) षड्ज-ग्राम की मात હવે સૂવકાર આ સ્વરના ગ્રામે અને દરેકે દરેક ગ્રામની મૂચ્છના विष ४थन ४रे ठे-" एएसिं णं सत्तण्हं सराणं "त्याह शहाथ-(एएसिं णं प्रत्तोहं सराण) मा सात १२॥ना (तओ गामा पण्णता) Y आमी उपाय छ (तंजहा) ते 20 प्रमाणे छे. (सज्जगामे, मझिमगामे गंधारगामे) १५३४ श्राम, २ मध्यम प्राम, 3 गान्धाराम. (मज्जगामस्सणं सत्तमुच्छणाश्रो पत्ताओ) १३०१ श्रामनी सात भू२ नारा For Private and Personal Use Only
SR No.020966
Book TitleAnuyogdwar Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages864
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size25 MB
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