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अनुयोगद्वारसूत्र प्यामि ॥१॥ तत्र=त्रिविधनाम्नो मध्ये पुरुषस्य पुल्लिङ्गनाम्नः अन्ता: अन्तस्थिता वर्णा 'आई ऊओ' इति भवन्ति । तथा-स्त्रीलिङ्ग नाम्नः अन्तस्थिता वर्णा ओकारचर्जिताः पूर्वोक्ता एव वर्णा बोध्याः। आकारान्ता ईकारान्ता ऊकारान्ताश्च शब्दा स्त्रीलिङ्गा बोध्याः ॥२॥ तथा-नपुंसकशब्दानाम् 'अं' इति च 'ई' इति च 'उ' इतिच अन्ता बोध्या: । अयं भावः-अंकारान्ता इंकारान्ता उंकारान्ताश्च शब्दा नपुंसकलिङ् बोध्याः। इतोऽग्रे एतेषां त्रयाणामपि निदर्शनम् उदाहरणं वक्ष्यामि=
शब्दार्थ-द्रव्य संबन्धी (तं पुणणाम) वह नाम (तिविहं) तीन प्रकारका है (इस्थी पुरिसं णपुंसगं चेव) स्त्रीनाम पुरुषनाम और नपुंसक नाम । (एएसि तिण्हंपि अंतमियारूवणं वोच्छं) मैं इन तीनों भी नामों की अन्त में आगत आकारादि अक्षरों द्वारा प्ररूपणा करूँगा। (तत्थ) तीन प्रकार के नाम के बीच में (पुरिसस्स) पुल्लिङ्ग नाम के (अंतो) अन्त में (आईउ ओ चत्तारि हवंति) आई ऊ, ओ, ये चार वर्ण होते हैं। (इत्थियाओ) स्त्रीलिङ्ग नाम के अन्त में (ओकार परिहीणा) ओकार वर्ण से रहित ये पूर्वोक्त ही वर्ण (हवंति) होते हैं। अर्थात् आकारान्त, ईकारान्त और ऊकारान्त शब्द स्त्रीलिङ्गवाले होते हैं। तथा (अन्ताः) जिनके अन्त में (अंतिम इंतिय उतिय) अं, ई, उं ये वर्ण होते हैं वे (णपुंसगस्स) शब्द नपुंसकलिङ्ग, के (बोद्धव्या) जानना चाहिये। तात्पर्य यह है कि प्राकृत भाषा में अं, ई, उं, अन्तवाले शब्द नपुंसकलिङ्ग,
शहाथ-द्रव्य विषय (तं पुण णाम) ते नाम (तिविह) र ५४२नु डाय छे. है (इत्थी पुरिसं णपुंसगं चेव) (१) श्रीनाम, (२) पुरुषनाम (3) नपुंसनाम (एएसिं तिण्ह पि अंतमियपरूवण वोच्छं) वे मात्र પ્રકારનાં નામની તેમના અંત્યાક્ષ દ્વારા પ્રરૂપણું કરવામાં આવે છે એટલે કે સ્ત્રીલિંગ, આદિના નામને અને કયા કયા અક્ષરો આવે છે, તે પ્રકટ ४२पामा भाव छ-(तत्थ पुरिसस्स अंता आ, ई, ऊ, ओ चत्तारि हवंति) पुरु. पनामा (दिनामी, नातिना नाम) ने मन्ते मा, छ, 9 मी, मा यारमान ५ (अक्ष२) डाय छे. (इस्थियाओ ओकारपरिहीणा) સ્ત્રીના નારી જાતિનાં નામે) ને અને “એ” સિવાયના પૂર્વોક્ત વર્ગો मेट 3 आ, ई, ऊ (हवंति) डाय छे अटले 3 आरा-त, ईरान्त भने असन्त शval नारी तिनi (स्त्रीलि) डाय , तथा (अन्ताः) २ शहने मन्त (अंतिअ इंतिय उतिय) म', डाय छ, ते शहाने (णपुंसगस्स) नघुस लिन (नान्येतर तिन) (बोद्धयो) समरामा ४थनन તાત્પર્ય એ છે કે પ્રાકૃત ભાષામાં અં, ઈ અને ઉં અન્તવાળા પદેને નવું
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