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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २८६ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुयोगद्वार अथानुपूर्यादीनां स्वरूपं निरूपयितुमाह, मूलम् - से किं सं आणुपुथ्वी, आणुपुव्वी दसविहा, पण्णत्ता, तंजह | नामाणुपुव्वी १, ठवणाणुपुव्वीर, दव्वाणुपुव्वी३, खेत्ताणुपुव्वी४, कालापुत्री५, उक्कित्तणाणुपुव्वी६, गणणाणुपुव्वी७, संठाणाणुपुच्वीट, सामायारी आणुपुव्वी९, भावाणुपु०वी १० ॥सू० ७२॥ छाया - अथ काऽसौ आनुपूर्वी ? आनुपूर्वी दशविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथानामानुपूर्वी १, स्थापनानुपूर्वी २, द्रव्यानुपूर्वी ३, क्षेत्रानुपूर्वी ४, कालानुपूर्वी ५, उत्कीर्त्त नानुपूर्वी ६, गणनानुपूर्वी ७, संस्थानानुपूर्वी ८, सामाचार्यानुपूर्वी ९, भावानुपूर्वी १० सू० ७२ ॥ टीका - शिष्यः पृच्छति - 'से किं तं' इत्यादि । अथ कौऽसौ आनुपूर्वी ? इति । उत्तरमाह - आनुपूर्वी - इह हि पूर्व प्रथमम् आदिः इति पर्यायाः । पूर्वस्य - अनु अब सूत्रकार आनुपूर्वी आदि को के स्वरूप का कथन प्रारंभ करते हैं:इस में सब से प्रथम वे आनुपूर्वी कितने प्रकार की है यह स्पष्ट करते हैं " से कि " इत्यादि । ॥ ७२ ॥ शब्दार्थ - - ( से कि त आणुपुब्बी) हे भदन्त ! पूर्व प्रक्रान्त आनुपूर्वी क्या है- ( आणुपुत्री दलविहा पण्णत्ता) उत्तर -- आनुपूर्वी दस प्रकार की वही गई है। (तं जहा ) जो इस प्रकार से है - ( णामाणुपुवी ) एक नामानुपूर्वी (वाणुपुत्री) दुसरी स्थापानानुपूर्वी (दव्वाणुपुथ्वी) तीसरी द्रव्यानुपूवी' (खेत्ता'णुपुब्वी) चौथी क्षेत्रानुपूर्वी (कालाणुपुत्री) पांचवी कालानुपूर्वी (उक्तिणाणुपुब्बी) छठी उत्कीर्तनानुपुर्वी ( गणणाणुपुथ्वी) सातवीं गणनानुपूर्वी (संठाणाणुपृथ्वी) आठवी संस्थानामुपूर्वी (सामायारी आ०) नवत्रीं समाचार्यानुपूर्वी (भावाणुपुव्वी) और दशमी भावानुपूवीं । पूर्व, प्रथम और आदि ये सब पर्याय હવે સૂત્રકાર આનુપૂર્વી આદિના સ્વરૂપનું નિરૂપણ કરવાના પ્રારંભ કરે છે. તેમાં સૌથી પહેલાં તે એ વાત પ્રકટ કરે છે કે આનુપૂર્વી કેટલા પ્રકારની છે? For Private and Personal Use Only "से किं तं आणुपुत्री" इत्याहि शहाथ - (से कि त आणुपुत्री) शिष्य जुइने येवो अश्न पूछे छे ! डे હે ભગવન્ ! પૂર્વપ્રકાન્ત (પૂર્વ પ્રસ્તુત) આનુપૂર્ણીનું સ્વરૂપ કેવું છે? उत्तर- आणुपुवी दसबिहा पष्णचा - तं जहा ) भालुपूर्वी ना नीचे प्रमाणे दृश પ્રકાર કથા છે (terrygeeft (1) angyal", (autrygaft) (2) zeng yall, (eff orgott) (3) qoniy yal', (Amyyat) (3) Bangyall', (ogy (1)
SR No.020966
Book TitleAnuyogdwar Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages864
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size25 MB
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