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॥ १३८॥
नन्ता संख्या डतिर्युष्मदस्मच्च स्युरलिङ्गकाः । पदं वाक्यमव्ययं चेत्यसंख्यं च तद् बहुलम् निःशेषनामलिङ्गानुशासनान्यभिसमीक्ष्य संक्षेपात् । आचार्यहेमचन्द्रः समदृभदनुशासनानि लिङ्गानाम्
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पू.आ. श्रीहेमचन्द्रसूरिविरचिता
॥देशीनाममाला ॥ गम-णय-पमाणगहिरा सहिययहिययहिययंगमरहस्सा । जयइ जिणिदाण असेसभासपरिणामिणी वाणी णीसेसदेसिपरिमलपल्लवियकुऊहलाउलत्तेण । विरइज्जइ देसीसद्दसंगहो वण्णकमसुहओ जे लक्खणे ण सिद्धा न पसिद्धा सक्कयाहिहाणेसु । न य गउण-लक्खणासत्तिसंभवा ते इह णिबद्धा देसविसेसपसिद्धीइ भण्णमाणा अणंतया हुँति । तम्हा अणाइपाइयपयट्टभासाविसेसओ देसी अज्जो जिणम्मि, अल्लं दिअहम्मि, अणू अ सालिभेयम्मि। अंको णियडे, अल्ला अव्वा अम्मा य अंबाए अक्को दूए अक्का बहिणी, अप्पो पिऊ, अहं दुक्खे। अंगुट्ठी अवगुंठणं, अगय-अयक्क-अयगा दणुए अंकेल्ली अ असोए, अज्झेल्ली दुहियदुज्झधेणुए। अंबेट्टी मुट्ठिए, अण्णाणं विवाहवहुदाणे अद्धंतो पेरते, अरुणं कमले, अकासि पज्जत्ते । अग्घाडो अवमग्गे, अवेसि-अंबेसि घरफलहे
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