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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पावपयडी उ नेया एस विभागो उ पुण्णपावाणं । पुव्वभणिओ वि अत्थो पसंगओ किंचि वृत्तो ति संपइ आवरणाई गाहाएणुभागट्ठाणया भणइ | तर्हि नाणावरणेसुं देसघाईसरूवेसु केवलवज्जा चउरो नाणे नाणम्मि दंसणा तिण्णि । चक्खु अचक्खुओही एयाणी सघाईणि पण अंतरायसंजलणचउगपुरिसं च ईइ सत्तरसा । चविभावपरिणया इयपयस्सेस भावत्थो इह हुतेगरसाई चउरसा सत्तरसेव पयडीओ । सेसा सुहासुहाओ तिपरिणया इगर मोत्तुं अह हेऊकारणनाम लक्खिया पच्चयपरूवणया । भणइ चउपच्चयाई गाहाए तत्थ किल एगं सायं चउपच्चइयं मिच्छाविरईकसायजोगेहिं । ऊहि बज्झइ इह जइ भणियं तह वि एसत्थो सायं मिच्छट्टिी बंधई मिच्छपच्चयं चेव । होइ तहिं च किर अविरयाईया ऊण तियगं पि तत्थत्थि केवलं इह मिच्छत्तंऽतरगयत्तणानेव । एत्थं विवक्खिया एवमुत्तरत्था वि नायव्वा तह मिच्छअभावे विहु अविरइमंतेसु सासणासु । सायं जेण निबज्झइ तो अविरयपच्चयं भणियं एत्थवि उवरिमजोग - पच्चयजुयलं तु गोणवित्तीए । गणय तह मिच्छत्तअविरइभावा सजोगेसु सकसाएसु पमत्ताईसुं सुहुमंतएसु ठाणेसुं । बज्झइ कसायहेऊ इहइंपि हु जोगहेऊजो ૫ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only ॥ ७२६ ॥ ।। ७२७ ॥ ।। ७२८ ।। ।। ७२९ ॥ ॥ ७३० ॥ ॥ ७३१ ॥ ॥ ७३२ ॥ ॥ ७३३ ॥ ॥ ७३४ ॥ ।। ७३५ ।। ॥ ७३६ ॥ ॥ ७३७ ॥
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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