SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 89
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सव्वघाइत्तणो विहु कोइ गुणो पसरई उ जं भणियं । सुट्ठ वि मेहसमुदए होइ पहा चंदसूराणं ।। ६९० ॥ जह वा भूवेणं सव्वदव्वहरणे कएवि किंचिवि य। गिहिसारं उद्धरियं दीसइ तह केवलस्सावि ॥ ६९१ ॥ उद्धरिओ चिट्ठइणंतभागसेसो तओ य मेहेहिं । आवरियचंदमाईण जह पभा कुट्टिमाईहिं ॥ ६९२ ॥ निवईहि हरियगेहे गेहसारं व गोत्तियाईहिं । मइसुयओहीमणपज्जवेहि नाणेहि तह एत्थ ॥६९३ ॥ जीवस्स आवरिज्जइ तहा वि किंची निगोयवत्था जा। होइ तहिं पि चिट्ठइ नाणलवो कोवि जीवस्स ॥ ६९४ ।। एद्दहमेत्ताभावे जिओ वि पावेइ किर अजीवत्तं । गइनाणाईविसए अत्थे किर जण्ण याणाइ ॥ ६९५ ।। सो केवलनाणस्सा-वरणो उदओ न होइ पुण किंतु । मइनाणावरणस्स वि उदओ एवं बुहा बिति ॥ ६९६ ।। केवलदसण आवरण-यंति सामण्णओ य वत्थूणं । जं किर बोहावरणं तं केवलदसणावरणं ॥६९७ ।। तस्स वि अणंतभागो चक्खुअचक्खूवहीहि आवरिओ। मेहाइदिटुंता तहेव एत्थ वि य भणियव्वा ॥ ६९८ ॥ केवलनाणदंसण - खयम्मि मइचक्खुमाइभेयाणं । अवबोहो पावइ जह गामुवलंभम्मि वत्थूणं ।। ६९९ ॥ खेत्ताईण वि लाभो संभवई तह य निद्दपणगस्स । सव्वघाइत्तणे वि हु निद्दावत्थाए जं किंचि ॥ ७०० ॥ वेएई मेहाई दिटुंता हुंति एत्थ ते चेव । निद्दापणकेवलदसणाण इय छक्कयं भणियं || ७०१ ।। ૮૨ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy