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॥६८० ॥
॥ ६८३ ॥
अथिरासुभाजसाण वि जई पमत्तो विहेइ मंदरसं । इह भावणियापायं वेयणियस्सेव सव्वावि
॥ ६७८ ॥ चउगइया मिच्छजिया तेवीसं पुव्वभणियपगईओ। मंदरसा पकरंतो तत्थ नराणं दुगस्सेह
॥ ६७९ ॥ उक्कोसठिई पनरस कोडाकोडी तहा पसत्थगई। सुसराएज्जं सुभगं गोउच्चं आइसंठाणं आइमसंघयणं खलु एयासि दसेव कोडिकोडीओ। एया सुभपयडीओ एयासिमुक्कोसगठिईणं
॥६८१ ॥ आरब्भ विपक्खगपयडियाहिं परियत्तिऊण सह ताओ। बझंती जावेयासिमेव पडिवक्ख पयडीणं
॥६८२ ॥ सव्वजहण्णा अंतो कोडाकोडीओ लक्खणा य ठिई । ठिट्ठाणेसुं सव्वेसु सययपरियत्तमाणेण मज्झिमपरिणामेणं बंधइ एयासि मंदअणुभागं । छेवट्ठहुंडवामणकीलियउक्किट्ठगठिईओ
।। ६८४ ॥ आरब्भि य परवित्ती लब्भइ जावप्पणो जहण्णठिई । एवं सेसेसु वि भावणेह सव्वत्थ कायव्वा
॥ ६८५ ॥ उक्किट्टेयरभिण्णं भणियं अणुभागबंधसामित्तं । अह सव्वेयरघाई अघाइपयडी उ कित्तेमि
॥ ६८६ ॥ सव्वाघाईकेवलगाहाए तह य देसघाईओ। नाणाईगाहाए तहावसेसाइगाहाए
॥ ६८७ ॥ अग्घाईउ भणिस्सइ अह केवलनाणरूवओ उ गुणो । जाहिं किर पयडीहिं आवरियइ सव्वघाएण ।।६८८॥ नवरं अणंतभागो केवलनाणस्स सव्व जीवाणं । अण आवरिओ चिट्ठइ सया वि किल तस्स भावत्ता
।।६८९ ॥
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