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दुइयसमयाइसुं ठाणेसु होइ अवट्ठिओ बंधो। ओय भणियं अवद्विओ चउसु नायव्वो अव्वत्तव्वो नो मूलि - गासु संभवइ इ इ पुरा भणियं । संप उत्तरपsि बंधट्टाणाणि तेसुं च
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बंधा भूयकाराइया उ जहसंभवं मुणेयव्वा । तत्थ य पढमं तिणी ठाणाणि दंसणे वोच्छं बंधाणं पढमं नवेव छच्चेव तह य चत्तारि । बंधाणाणि हवंति तिण्णि इय दंसणावरणे जा सायणु नवबंधी थीणतिरहिओ छबंधि जापुव्वो । अपुव्वा जा सुहुमो निद्दादुगविरहियचउब्बंधी भूयक्कारप्पयरावत्तव्वबंधा उ दुण्णि पत्तेयं । हुति अवट्ठियबंधा तिण्णेव य दंसणावरणे दंसणावर उत्तर - पयडीण नवाइबंधठाणेसु । नवछगचउण्हदो अंतरेसु हाणीऍ वुड्ढीए दो दो अप्पयरब्भूय - गारबंधा उ तहय उवसंतो । परिवडिय चउव्विहबंधगोहवा आउयखयम्मि छव्विहबंधी तो दोऽवत्तव्वा तिण्णि हुंति पुव्वं व । हुति अवट्ठियबंधा इय भावणिया दुइयकम्मे बावीस गवीसा सत्तरसं तेरसेव नव पंच । चउतिगदुगं च एगं बंधद्वाणाणि दस मोहे मिच्छं कसायसोलस भयं दुर्गुच्छा तिवेयमण्णयरं । हासरई इयरे वा बंधे मिच्छस्स बावीसा
मिच्छत्तपयडिरहिया इगवीसा सासणस्स बंधम्मि । अणधीरहिया सतरस बंधम्मि मीस अजयाणं
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